BSF का 80 साल का यह रिटायर्ड जवान आज भी लगाता है अचूक निशाना, आप भी देखें इनका कमाल

जैसलमेर. कहते हैं कि सैनिक (Soldier) कभी बूढ़ा नहीं होता. वह हमेशा जवान ही रहता है. उसका जज्बा उम्र के हर पड़ाव में बढ़ जाता है. ऐसे ही एक बुजुर्ग सैनिक हैं भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे जैसलमेर के बेरसियाला गांव में. यह जवान 80 साल की उम्र में भी सटीक निशाना लगाता है. सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) से 29 साल पहले रिटायर हुए चंदन सिंह सोढ़ा (Chandan Singh Sodha) का जज्बा आज भी पहले जैसा बना हुआ है. उम्र के इस पड़ाव में भी सोढ़ा का निशाना चूकता नहीं है. वे आज भी अचूक निशाना लगाते हैं. सोढ़ा के अचूक निशाने का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.

80 साल की उम्र में लोग जहां बिस्तर पकड़ लेते हैं. लाचार हो जाते हैं. वहीं बीएसएफ से सेवानिवृत्त हुए 80 वर्षीय भूतपूर्व जवान चंदन सिंह सोढ़ा आज भी जब अपने कांपते हाथों से बंदूक थामते हैं तो अचूक निशाना साध देते हैं. वे एक या दो नहीं बल्कि लगातार अभी भी तीन-तीन निशाने टारगेट पर हिट कर देते हैं. सोढ़ा को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जवान सेना या अर्द्धसैन्य बलों से रिटायर भले ही हो जाएं लेकिन उनके अंदर का फौजी ताउम्र जिंदा रहता है.

जवान का बम, बंदूक और गोली से चोली दामन जैसा साथ रहता है
जैसलमेर जिले के बैरसियाला गांव के रहने वाले 80 वर्षीय चंदन सिंह सोढ़ा 1966 में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में भर्ती हुए थे. 28 साल की देश सेवा के बाद वर्ष 1993 में वे रिटायर हो गए थे. एक फौजी का बम, बंदूक और गोली से चोली दामन का साथ रहता है. सोढ़ा के साथ भी यही है. सोढ़ा को बीएसएफ में दी गई हथियार चलाने की ट्रेनिंग आज भी उनके दिलो दिमाग में उसी तरह से बरकरार है जैसी वह बॉर्डर पर तैनात रहने के दौरान थी. चंदन सिंह के अचूक निशाने लगाने का वीडियो जब से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

जैसलमेर में 1966 में ज्वाइन की बीएसएफ
चंदन सिंह बताते हैं कि उनकी 13 BN बीएसएफ में ज्वाइनिंग 1966 में जैसलमेर में हुई थी. उसके बाद उनकी बटालियन जैसलमेर से जोधपुर चली गई. वर्ष 1971 की जंग में उनकी बटालियन जोधपुर से केलनोर की और कूच कर गई. वहां से उनकी बटालियन पाकिस्तान के छाछरा तक पहुंची. वहां से फिर उनकी बटालियन बाड़मेर आई. बाड़मेर में 4 साल तक सर्विस रही. उसके उपरांत बटालियन 4 साल तक गुजरात के बनासकांठा जिले के दांतीवाड़ा रही.

सोढ़ा को आज भी याद हैं सभी तबादले और बटालियन
बकौल सोढ़ा हमारी बटालियन उसके बाद जम्मू तवी चली गई. वहां वे 2 साल रहे. फिर वहां से श्रीनगर के कुपवाड़ा में 2 साल सेवाएं दी. जम्मू के अखनूर में रहने के दौरान 4 महीने बाद उनकी पोस्टिंग 92 बीएन बीएसएफ में हो गई. वह बटालियन उस समय अगरतला में थी. एक साल तक 92 बीएन बीएसएफ में सेवा देने के बाद उनका 93 बीएन बीएसएफ में ट्रांसफर हो गया. वहां करीब डेढ़ साल सर्विस रही. उसके बाद उनका ट्रांसफर 47 बीएन बीएसएफ में हुआ.

कुछ समय तक सिक्युरिटी गार्ड के रूप में प्राइवेट जॉब की
यह बटालियन उस समय बीकानेर में तैनात थी. वहां से वे एडवांस पार्टी के साथ जैसलमेर आ गए. 1993 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने जैसलमेर में अपना घर बना लिया और परिवार के साथ रहने लगे. कुछ समय तक सिक्युरिटी गार्ड के रूप में प्राइवेट जॉब की. सोढ़ा के परिवार में उनकी पत्नी और 3 लड़के हैं. उनमें से दो की शादी हो चुकी हैं. उनके भी 4 – 4 बच्चे हैं. एक बेटा अभी अविवाहित है.