कोलकाता की 24 वर्षीय महाश्वेता चक्रवर्ती खूब चर्चा में हैं. हर कोई उनकी तारीफ कर रहा. उनकी तारीफ बनती भी है क्योंकि वह 800 भारतीय छात्रों की जान बचाने में कामयाब रही हैं. एक तरफ यूक्रेन रूसी हमलों के कारण जंग का मैदान बना हुआ है वहीं भारतीय पायलट अपनी जान पर खेल कर अपने देशवासियों को भारत ला रहे हैं. महाश्वेता भी इन्हीं बहादुर पायलटों में से एक हैं.
बचाई 800 भारतीयों की जान
दरअसल महाश्वेता चक्रवर्ती उस ऑपरेशन गंगा की सदस्य हैं जिसके तहत भारतीयों की अपने देश वापसी कराई गई है. मीडिया से बात करते हुए महाश्वेता ने बताया कि वह मार्च के पहले सप्ताह के दौरान ऑपरेशन गंगा का हिस्सा थीं. उन्होंने अपनी टीम के साथ यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान यूक्रेन की सीमा से करीब 800 भारतीय छात्रों को भारत वापस लाने में मदद की.
महाश्वेता COVID-19 के शुरुआती दौर में वंदे भारत अभियान से भी जुड़ी थीं. उस दौरान उन्होंने विभिन्न देशों से ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य चिकित्सा उपकरण लाने का काम किया था. महाश्वेता देश के लिए इन दोनों मिशनों का हिस्सा बनकर बेहद खुश और सम्मानित महसूस करती हैं.
देश के लिए दिखाया साहस
यूक्रेन-रूस जंग के बीच हजारों भारतीय छात्र यहां फंस गए थे. इन्हें सुरक्षित देश वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया और युद्धग्रस्त क्षेत्र से भारतीय छात्रों को एयरलिफ्ट कराया. एक तरफ जहां भारत सरकार ने देशवासियों को वापस बुलाने की रणनीति बनाई वहीं देश के साहसिक पायलटों ने भी इसमें बड़ा योगदान दिया. महाश्वेता चक्रवर्ती भी इन्हीं साहसी पायलटों में से एक हैं.
उन्होंने अपने साहस, जज्बे और सूझबूझ के दम पर युद्धग्रस्त क्षेत्र में विमान को लैंड कराने के साथ साथ वहां फंसे 800 भारतीयों की जान भी बचाई. महश्वेता ने 800 भारतीयों के साथ पोलैंड-हंगरी सीमा से उड़ान भारी और उन्हें सुरक्षित वापस अपने घर पहुंचाया.
हमेशा से चाहती थीं पायलट बनना
बता दें कि कोलकाता की रहने वाली महाश्वेता बंगाल भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख तनुजा चक्रवर्ती की बेटी हैं. अपने माता-पिता की इकलौती संतान महाश्वेता चक्रवर्ती ऑक्सिलियम कॉन्वेंट स्कूल की स्टूडेंट रह चुकी हैं तथा वह हमेशा से पायलट बनना चाहती थीं.