पंजाब के जालंधर में रहने वाले मेधांश ने अपनी प्रतिभा से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. 11 साल की उम्र में 50 से अधिक साफ्टवेयर डवलप कर उन्होंने साबित कर दिया कि नामुमकिन कुछ भी नहीं होता. इंसान अगर ठान ले तो वो कम उम्र में भी बड़े से बड़ा काम कर सकता है. सेंट जोसेफ स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ रहे मेधांश की अब एक पहचान यह भी है कि वो अपनी एंटर प्रोकोडर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में CEO हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेधांश 5 साल की उम्र से ही कंप्य़ूटर कोडिंग कर रहे हैं. उनके पिता संदीप कुमार गुप्ता और मोनिका गुप्ता ने उनके हुनर को पहचाना और उसे निखारने में मदद की. 9 साल की उम्र में मेधांश ने पहली बार एक साफ्टवेयर बनाया था, जिसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपनी प्रतिभा के लिए मेधांश अलग-अलग मंचों पर सम्मानित किए जा चुके हैं.
उनके नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड जैसे अन्य कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सम्मानित कर चुके हैं.