इस बेटी को UPSC में 11वी रैंक लाने में 5 बार असफल होना पड़ा, इस तरह बनी IAS अधिकारी

Delhi: किस्‍मत हर दिन नहीं सोती है, देखते है कि आगे क्‍या होता है। यह लाइन कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की है। कभी कभी हमारे साथ ऐसा होता है, कि हम बहुत मेहनत करते है। इसके बावजूद भी हमें सफलता नहीं मिल पाती है।

एक दिन ऐसा आता है जब हम अपनी लगन और कड़ी मेहनत किस्‍मत को बदल देती है। यही कार्य नुपूर गोयल जी ने किया है, जिन्‍होने पॉंच बार असफलता मिलने के बाद भी हार नहीं मानी और छटवे प्रयास में सफलता प्राप्‍त करके आईएएस बन गई।

मुश्‍किलों से भरा था नुपुर का जीवन

दिल्‍ली में रहने वाली नुपुर गोयल (Nupur Goel) कहती है, कि उनके लिए यह सफलता प्राप्‍त करना बहुत ही मुश्किलों भरा रहा है। वह जिस एरिया से ताल्‍लुक रखती है, वहा पर लड़कियों को ज्‍यादा अधिकार नहीं दिये जाते है। जिस वजह से वह आगे नहीं बढ़ पाती है।

महिलाओं के विरूद्ध सोच रखने वाली मानसिकता के बीच भी नुपुर ने मेहनत करनी नहीं छोड़ी और सफल हुई। ऐसे लोग जो यह सोचते है, कि लड़कियों को घरों में ही रहना चाहिए। उन जैसे लोगों के चेहरे में एक कड़ा तमाचा मारते हुए नुपुर बहुत आगे निकल गई।

पहले ही प्रयास में मेंस निकाल लिया था

नुपुर गोयल ने दिल्‍ली से अपनी पढ़ाई कम्‍पलीट की थी। वह डीएवी कॉलेज से पढ़ी है। वह पढ़ाई के शुरूआती दिनों से ही बहुत होशियार और टॉपरों कि श्रेणी में आने वालो में से थी। अपनी इ्ंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद नुपुर ने इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कम्‍पलीट की।

इंजीनियरिंग करने के बाद नुपुर का रूख हर टॉपर की तरह देश की सबसे बड़ी परीक्षा यूपीएससी (UPSC) को निकालने में था। जिसे पूरा करने के लिए नुपुर ने कड़ी मेहनत की। यूपीएससी कि तैयारी करने के साथ साथ नुपुर ने इग्‍नू में पब्लिक एडमिनिस्‍ट्रेशन का कोर्स करने के लिए एडमिशन ले लिया। अपनी यूपीएससी की तैयारी में ही पूरा फोकस रखा।

वर्ष 2014 में यूपीएसी का पहला एग्‍जाम दिया। नुपुर की तैयारी इतनी अच्‍छी थी, कि पहले ही प्रयास में वह प्री और मेन्‍स निकालने में सफल रही, लेकिन इंटरव्‍यू में वह असफल हो गई। लेकिन उन्‍होने हार ना मानते हुए आगे भी प्रयास जारी रखा।

कई बार किये प्रयास 6वे प्रयास में मिली सफलता

दूसरे प्रयास मे नुपुर प्री (UPSC Pre) तक नहीं निकाल पाई। लेकिन फिर भी वह मेहनत करती रही उसके बाद तीसरी फिर चौथी और फिर पॉचवी बार भी मेहनत के बावजूद नुपुर को सफलता ना मिल सकी। लेकिन इतनी असफलता के बावजूद भी वह डटी रही।

अगर कोई और होता तो शायद हार कर प्रयास करना छोड़ देता। लेकिन नूपुर ने अपनी किस्‍मत को बदलने की ठानी थी और वह प्रयास करती रही। 5 असफलता के बाद नुपुर सब कुछ भुलाकर फिर से एक बार उठ खडी़ हुई। और छठी बार सफलता प्राप्‍त करने में लग गई।

वह कहती है, की उन्‍होने यह ठान लिया था कि यह उनका अंतिम प्रयास है और इसमें वह खुद को पूरी तरह से झोंक देंगी और उनकी मेहनत रंग लाई छटवे बार के उनके अंतिम प्रयास में वह सफल रही और यूपीएससी में उन्‍हें पूरे देश में 11वी रेंक हासिल हो गई।

धैर्य और खुद पर संयम बनाना है जरूरी

नुपुर कहती है कि इस एग्‍जाम को निकालने के लिए धैर्य की सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है। अगर आप में धेर्य और संयम नहीं है, तो इसमें सफलता प्राप्‍त करना आपके लिए थोड़ा मुश्‍किल हो सकता है। आपका धैर्य और आखरी दम तक हार ना मानने का संकल्‍प ही आपको सफलता दिलाता है।

 

नुपुर कहती है, कि उनकी सफलता का राज उनकी खुद की कड़ी मेहनत है। साथ ही वह कहती है कि अगर हर दिन मॉक टेस्‍ट तथा मेंस की तैयारी के लिए राइटिंग की प्रेक्टिस की जाये, तो इसमें सफलता प्राप्‍त करने से आपकों कोई नहीं रोक सकता।

 

नुपुर कहती है, कि अखबार पढ़ना भी इस परीक्षा को निकालने में हमारा सहायक होता है। नुपुर कहती है कि बार बार जब हम प्रयास करते है और इसके बावजूद भी सफल नहीं हो पाते, तो हम अपना धेर्य खोने लगते है और हम अपनी सफलता से एक कदम पीछे चले जाते ह

 

नुपुर कहती है कि यही मेरे साथ भी हो रहा था, लेकिन मेरे माता पिता हमेशा मेरे साथ रहे और उन्‍होनें मुझे हारने नहीं दिया। उन्‍होने मुझे तैयारी जारी रखने के लिए मोटिवेट किया। यही कारण है कि वह इस परीक्षा मे सफल हो पाई हैै। अपनी कड़ी मेहनत और परिवार के साथ की बदौलत ही पूरे देश मे 11वी रेंक हासिल कर पाई हैै।