यह बुजुर्ग दादी 87 साल की उम्र में आचार बनाती है और मुनाफे के पैसे गरीबों में दान करती हैं

Lucknow: बीते 2 साल आपदा और महामारी के रहे, जिसमे बहुत लोगो को कई तरह की दिखातें हुई और कुछ ने अपनों को भी खोया। कुछ लोगो ने इस बुरे समय से निकलकर दूसरों की मदद की और जिंदगी में आगे बढ़ रहे हैं।

ऐसे ही उस आपदा काल में जिंदगी की जंग जीतकर वापस आयी ऊषा गुप्ता (Usha Gupta) अन्न लोगो के लिए एक मिसाल है। वे अब होममेड आचार और चटनी (Achar and Chatni) का कारोबार कर रही हैं और उससे होने वाले मुनाफे को गरीबों की मदद में खर्च कर करती हैं।

अपने जीवन को जरूरतमंद लोगो की सेवा में समर्पित किया

उषा गुप्ता ने एक अख़बार को बताया की अब वे अपने बचे हुए जीवन को गरीब और जरूरतमंद लोगो के लिए लगा देंगी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली ऊषा गुप्ता 87 साल की उम्र में भी लोगो की मदतगार बन गई है। बुजुर्ग महिला अपने काम और सेवा भाव के चलते काफी सम्मान पा रही है।

आपदा काल में संक्रमित होने के बाद जिंदगी की जंग जीतकर वापस आयी ऊषा गुप्ता अब होममेड आचार और चटनी का बिजनेस कर रही हैं और उससे होने वाले प्रॉफिट को गरीबों और जरुरतमंदो की मदद में लगा देती हैं।

होम मेड उत्पादों को सोशल मीडिया का सहारा मिला

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार साल 2021 के जुलाई महीने में ऊषा ने घर पर ही आचार और चटनी बनाने का काम शुरू किया था। अपने घर से ही बनाये गए होम मेड उत्पादों को वे सोशल मीडिया के ज़रिये पूरे देश में लोगों को बेच रही हैं। उनका काम भी अच्छा चल रहा है।

घर से ही इस काम को शुरू करने के एक महीने के भीतर ही उन्होंने 200 से अधिक बॉटल्स बेच दिए थे और इससे होने वाली कमाई को उन्होंने गरीबों व जरूरतमंदों के लिए डोनेट कर दिया था। आपको नाता दें की ऊषा गुप्ता के पति उत्तर प्रदेश सरकार में सरकारी इंजीनियर के पद पर नौकरी कर चुके थे। उनकी तीन बेटियां हैं, जो पेशे से डॉक्टर हैं और दिल्ली में निवास कर रही हैं।

इससे पहले का समय उषा के लिए अच्चा नहीं रहा था। आपदा के समय दूसरी लहर ऊषा के लिए बहुत भारी रही थी। उषा और उनके पति एक साथ महामारी की जद मी आये। दोनों संक्रमित बुजुर्ग दंपति एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे। काफी दिनों के इलाज़ के बाद ऊषा तो ठीक हो गईं, परन्तु उनके पति ने संक्रमण को नहीं हरा पाये और इस दुनिया को छोड़ गए।

बिजनेस को Pickled With Love नाम दिया

इस उम्र में वे ज्यादा मेहनत तो नहीं कर सकती थी, ऐसे में सभी के सहयोग से उन्होंने कोशिश की। इस छोटे से बिजनेस को Pickled With Love नाम दिया गया। अचार की इस कंपनी की मार्केटिंग और रिसोर्सेज का काम उनकी नातिन ने ही देखना शुरू किया।