देवघर. सूर्य उपासना के महापर्व छठ की शुरूआत शुक्रवार को नहाय खाय के साथ हुई. देवघर में एक गांव है जहां सामूहिक छठ पर्व मनाया जाता है. पूजा में गांव के करीब 60 परिवारों के 500 सदस्य शामिल होते हैं. आज 29 अक्टूबर को खरना को लेकर यहां खास तैयारियां चल रही हैं. छठ व्रती शाम में खरना पूजेंगी. फिर खीर के प्रसाद का वितरण होगा. इसके लिए 2 क्विंटल से अधिक दूध की खीर तैयार की जा रही है. देवघर प्रखंड के घोरलाश गांव में सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी यही परंपरा चलती आ रही है. पूरा गांव एक जगह छठ मनाता है. जो लोग बाहर रहते हैं और छठ के लिए गांव लौटते हैं, वो भी इसमें शामिल होते हैं.
गांव के बुजुर्ग मनोरंजन राय और सच्चिदानंद राय ने बताया कि साल 1907 से उनके पूर्वज बनारस से देवघर आए थे और यहीं बस गए. ‘दो-तीन घरों के साथ इस गांव को हमारे पूर्वजों ने बसाया था. परिवार बढ़ते बढ़ते आज करीब 60 घर हो गए हैं. गांव में छठ एक जगह होती है. यह परंपरा शुरू से है. सभी की भागीदारी होती है. बाहर रह रहे लोग भी छठ पर गांव ज़रूर आते हैं. इसी बहाने साल में कम से कम एक बार सभी एक दूसरे से मिलजुल भी लेते हैं.’ खरना पर परिवार के 500 से अधिक सदस्य एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं.
सवा दो क्विंटल दूध से बन रही खीर
गांव में खरना के प्रसाद के लिए 500 से अधिक लोगों के लिए खीर बन रही है. इस बार 2.3 क्विंटल दूध और 80 किलो चावल से खीर बनाने की तैयारी है. इसमें काजू, किशमिश, नारियल और छुआरे भी मिलाए जाएंगे. इसके लिए ईंट का चूल्हा बनाया गया है. लोहे की बड़ी-बड़ी कढ़ाई पर 5 से 6 खेप में प्रसाद तैयार किया जाएगा. ग्रामीण खुद मिलजुल कर इसे बनाते हैं. श्रद्धालु गुड़, केला और मूली के साथ प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
छठ व्रती आशा देवी ने कहा कि महापर्व पर गांव का माहौल अलौकिक है. सभी मिलजुल कर एक जगह पूजा करते हैं. खासकर खरना पूजा का नजारा देखने लायक होता है. जब पूरे गांव के लोग एक जगह ज़मीन पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए भी सभी एक ही घाट पर जुटते हैं.