सरकारी स्कूल का ख्याल आते ही एक तस्वीर हमारे सामने आती है. जर्जर इमारतें, फर्श पर बैठे बच्चे, आदि. लेकिन कुछ सरकारी स्कूल उस इमेज को बदलने का काम लगातार कर रहे हैं और अपने इलाके के प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ दिया है. वहां बच्चों के भविष्य को सही राह मिल रही है. टीचर मेहनत के साथ उन्हें अनोखे अंदाज में पढ़ा रहे हैं.
चंडीगढ़ के सेक्टर 21 में स्थित सरकारी मॉडल स्कूल इसी राह पर चल पड़ा है. जहां की शिक्षा व्यवस्था दूसरे स्कूलों के लिए एक मिसाल है. जहां मैथ्स पार्क, आर्ट म्यूजियम, साइंस पार्क, अचीवर्स गैलरी, किचन गार्डन, हर्बल पार्क, ट्रैफिक सिस्टम का वर्किंग मॉडल, और एंबुलेंस जैसी कई चीजें इस स्कूल में हैं.
किताबों के अलावा इन चीजों का भी दिया जाता है ज्ञान
यह सब कुछ करना स्कूल मैनेजमेंट और उनके टीचरों के लिए आसान नहीं था. लेकिन, उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर जो मॉडल बनाया है वह काबिले तारीफ़ है. स्कूल के हर्बल और किचन गार्डन में ऑर्गेनिक तरीके से मौसमी सब्जियां और खीरा मूली और शलजम उगाया जाता है. इन्हीं सब्जियों को पकाकर बच्चों को मिड डे मील में परोसा जाता है. इसके अलावा तक़रीबन 37 तरह के आयुर्वेदिक और मेडिसिनल पौधों को भी हर्बल गार्डेन में उगाया जाता है. बच्चों को भी इसका ज्ञान मिल रहा है. उन्हें किताबों के अलावा पर्यावरण, ऑर्गेनिक खेती उगाने और उसके फायदे की जानकारी दी जा रही है.
पढ़ाने का अंदाज है अनोखा
स्कूल के ‘मैथ गार्डन’ में बच्चों को खेल-खेल में गणित को आसान तरीके से समझाया जा रहा है. जिससे बच्चों के कांसेप्ट क्लियर हो सके. कई मॉडल्स और चीजें पार्क में रखी गई हैं. मिसाल के तौर पर रिंग मॉडल, ग्राफ मॉडल, लाइन मॉडल, जोड़ना, घटाना, गुणा और भाग तमाम के मॉडल्स बनाए गए हैं. इससे बच्चे के अंदर अंकों को लेकर जो डर होता है वे समाप्त होने में कारगर सिद्ध हो रहा है. उन्हें गणित पढ़ने में भी मजा आने लगता है और उनका बेस भी मजबूत हो जाता है.
वहीं स्कूल में खड़ी एंबुलेंस में सेफ्टी के बारे में बच्चों को जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही ट्रैफिक वर्किंग सिस्टम मॉडल में बच्चों को ट्रैफिक के नियमों के बारे में प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाती है. आर्ट म्यूजियम में देश की संस्कृति और सभ्यता के बारे में बच्चों को बताया जाता है. कुल मिलाकर यह सरकारी स्कूल दूसरों के लिए एक मिसाल है. जहां बच्चों के भविष्य को सवांरने का काम बखूबी और बेहतर अंदाज में हो रहा है.
स्कूल टीचर हेमलता मल्होत्रा के मुताबिक पिछले कुछ सालों में स्कूल के बच्चों ने बहुत बड़े-बड़े लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रहे. उनमें कुछ विदेशों में पढ़ रहे हैं या फिर नौकरियां भी कर रहे हैं.