जीवित रहने की उम्र
एक सामान्य व्यक्ति किस उम्र तक जीवित रहता है? मेरे हिसाब से 70-80 या इससे अधिक 90 वर्ष तो हम नॉर्मल मान सकते हैं क्योंकि हम सभी की जानकारी में कोई न कोई व्यक्ति ऐसा जरूर होगा जो इस समय 90 के दशक में चल रहा होगा या 90 के आसपास आकर उसने अपने प्राण त्यागे हों। अभी कुछ दिन पहले इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की उम्र में निधन हुआ है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि आज के समय में अगर कोई व्यक्ति 100 वर्ष का आंकड़ा पार कर लेता है तो उसे हैरानी से देखा जाता है। उस व्यक्ति के खानपान और लाइफस्टाइल के विषय में जानने के लिए लोग इच्छुक रहते हैं।
900 साल तक जीना !
100 वर्ष की उम्र पार कर लेने वाला व्यक्ति एक अजूबा मान लिया जाता है, वैज्ञानिक भी उसे अपने शोध का केंद्र बना लेते हैं। ऐसी स्थिति में जरा आप ये बताइए अगर आपको पता चले कि कोई ऐसा व्यक्ति भी हुआ है जो न सिर्फ 100, 200, 300 बल्कि पूरे 900 वर्ष के उम्र तक जीवित रहा तो आपका क्या रिस्पॉन्स होगा? हमें उम्मीद यही है कि पहले तो आप इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगे और दूसरी बात अगर किसी तरह विश्वास हो भी जाए तो आप यह अवश्य जानना चाहेंगे कि ऐसा कैसे संभव हो पाया।
हैरान कर देने वाले तथ्य
दुनियाभर में लंबी उम्र तक जीवित रहने वाले लोगों से जुड़े जितने भी रिकॉर्ड बने हैं उन सभी से ऊपर हैं देवरहा बाबा, जिन्हें महायोगी का दर्जा दिया गया है। कहा जाता है जब उन्होंने अपने प्राण त्यागे तब उनकी उम्र 900 साल से भी ऊपर थी। निश्चित रूप से आपकी तरह हमें भी इस आँकड़े पर विश्वास नहीं हुआ था लेकिन प्रचलित कहानियों के आधार पर उनकी उम्र ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया।
देवरहा बाबा
उत्तर प्रदेश (भारत) के देवरिया जनपद में रहने वाले लोगों के अनुसार वहाँ एक बाबा रहते थे जिन्हें ‘देवरहा बाबा’ के नाम से जाना जाता रहा है। वे कोई सामान्य व्यक्ति न होकर महान संत और महायोगी भी थे। देश और दुनिया के अलग-अलग स्थानों से लोग उनके दर्शन करने के लिए आते थे। माना जाता है उनके चेहरे पर अलग सी एक चमक होती थी, बहुत से लोग तो यह भी मानते थे कि उनके पास विभिन्न तरह की चमत्कारी शक्तियां होती थीं।
उम्र का विरोधाभास
हालांकि एक सच यह भी है कि उनकी उम्र को लेकर लोग अक्सर विरोधाभास रखते थे।कोई कहता था कि वे 250 वर्ष तक जीवित रहे तो कोई यह मानता था कि उनकी उम्र 500-600 वर्ष के बीच थी। लेकिन हैरानी तब होती है जब लोग कहते हैं कि उनकी उम्र तो 900 वर्ष से भी अधिक थी।
उनका जीवनकाल
लेकिन कोई भी यह बात नहीं जानता कि देवरहा बाबा आए कहाँ से थे, उनका जन्म कहाँ हुआ था। उनका पारवारिक नाम कोई नहीं जानता, सब उन्हें देवरहा बाबा के नाम से ही जानते थे। उनके जन्म की तारीख, जन्म स्थान तथा वे कब और कहां से आए यह सभी तथ्य अज्ञात हैं। यहां तक कि उनकी सही उम्र का आंकलन भी नहीं है। बस लोग इतना जानते हैं कि वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे। और उन्होंने अपना आखिरी श्वास मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन लिया था।
अलग-अलग कहानियां
बाबा के जीवन के संदर्भ में स्थानीय लोग अलग-अलग कहानियां सुनाते हैं, जिसमें से एक कहानी काफी दिलचस्प है। करीब 10 वर्षों तक बाबा की सेवा करने वाले मार्कण्डेय महाराज केअनुसार देवरहा बाबा निर्वस्त्र रहा करते थे। इतना ही नहीं वे धरती से करीब 12 फुट ऊपर एक लकड़ी के बने बक्से में रहते थे और केवल तभी नीचे आते थे जब उनका स्नान का समय होता था।
सरयू नदी
यह भी माना जाता है कि बाबा ने कई वर्षों तक हिमालय में साधना की थी। लेकिन कितने वर्ष, यह कोई नहीं जानता क्योंकि हिमालय में उनकी उपस्थिति अज्ञात थी। हिमालय की गोद में जप-तप करने के पश्चात ही बाबा ने उत्तर प्रदेश के देवरिया क्षेत्र की ओर प्रस्थान किया।
सरयू नदी से संबंध
यहां बाबा ने वर्षों निवास किया और अपने धर्म-कर्म से लोगों के बीच प्रचलित हुए। देवरिया में बाबा सलेमपुर तहसील से कुछ दूरी पर ही स्थित सरयू नदी के किनारे रहते थे। यह वही स्थान है जहां भगवान विष्णु अपने सातवें अवतार श्रीराम को त्याग कर वापस वैकुण्ठ लौटे थे।
बहुत बड़े रामभक्त थे
इस नदी के किनारे बाबा ने वर्षों तक अपना डेरा जमाए रखा और इसी क्षेत्र से बाबा को ‘देवरहा बाबा’ का नाम प्राप्त हुआ। कहते हैं बाबा बहुत बड़े रामभक्त थे। उनके भक्तों को हमेशा ही उनके मुख पर ‘राम नाम’ सुनाई देता था। वह अपने भक्तों को भी श्रीराम के जीवन से जुड़े तथ्य बताते तथा उन्हें जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करते। बाबा अपने भक्तों के जीवन के कष्टों को कम करने के लिए श्रीराम तथा श्रीकृष्ण मंत्र देते थे। वे श्रीराम तथा श्रीकृष्ण को एक ही मानते थे। इन दो अवतारों के अलावा बाबा गोसेवा में भी पूर्ण विश्वास रखते थे।
गौसेवा
उनके लिए जनसेवा तथा गौ सेवा एक सर्वोपरि-धर्म था। वे अपने पास आए प्रत्येक भक्त को लोगों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। वे हमेशा ही लोगों को गोहत्या के विरुद्ध में खड़े होने की प्रेरणा देते थे।
आश्चर्यजनक तथ्य
लेकिन उम्र के संदर्भ में जिस प्रकार के तथ्य लोग बताते हैं वह काफी आश्चर्यजनक हैं। लोग कहते हैं कि बाबा की शारीरिक अवस्था वर्षों तक एक जैसी ही रहती थी। जिस किसी इंसान ने वर्षों पहले उन्हें देखा था वह यदि कितने ही सालों बाद भी उनके दर्शन करता था तो उसे उनमें कोई बदलाव नज़र नहीं आता था।
भक्तों को प्रसाद देना
उनका अपने भक्तों को प्रसाद देने का तरीका भी काफी अचंभित करने वाला था जिस पर विश्वास कर सकना भी मुश्किल है। कहते हैं जब कोई भक्त उनसे प्रसाद की कामना करता तो बाबा उस ऊंचे मचान पर बैठे ही अपना हाथ मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मिठाइयां या अन्य खाद्य पदार्थ अपने आप ही आ जाते थे।
अचंभित होते थे भक्त
यह देख लोगों को अचंभा होता था कि आखिरकार खाली पड़े मचान में से बाबा के हाथ में प्रसाद कैसे आया। कुछ लोगों का मानना था कि बाबा अपनी अदृश्य शक्तियों की सहायता से कहीं भी चले जाते थे तथा अपने भक्तों के लिए प्रसाद ले आते थे।
सूक्ष्म शरीर
लोगों का यह भी मानना है कि बाबा ने वर्षों तक अपने सूक्ष्म शरीर में भी तपस्या की इसलिए उनकी उम्र का सही अनुमान लगाना लोगों के लिए और भी मुश्किल हो गया। अक्सर उनकी इतनी अधिक उम्र को जानकर लोग यह सोचते हैं कि बाबा काफी पौष्टिक आहार लेते होंगे।
क्या कहती हैं जन श्रुतियाँ
लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। जन श्रुतियों के मुताबिक बाबा ने अपने पूरे जीवन में कभी कुछ नहीं खाया। वे केवल दूध और शहद पीकर जीते थे। इसके अलावा श्रीफल का रस भी उन्हें बेहद पसंद था। देवरहा बाबा की चमत्कारी शक्तियों से आकर्षित होकर देश की कई नामी हस्तियां भी उनके दर्शन करने आती थीं।