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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की भविष्यवाणी के अनुसार अंतरिक्ष से एक बड़ा पत्थर धरती की ओर बढ़ रहा है. यह बड़ा पत्थर आज से तीन दिन बाद यानी 6 जून को धरती के बगल से गुजरेगा. इस पत्थर का आकार हैरान कर देने वाला है.
ब्लू व्हेल से है तीन गुना बड़ा
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26 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार के साथ धरती के बगल से गुजरने वाला ये पत्थर समुद्री ब्लू व्हेल के आकार से तीन गुना बड़ा है. सोचने वाली बात है कि इससे धरती को किसी तरह का खतरा होगा या नहीं. क्या इसकी दिशा बदली जा सकती है ? इन सवालों के जवाब NASA ने दिए हैं. एजेंसी ने इस विशाल एस्टेरॉयड को नाम दिया है 2021 GT2. नासा की भविष्यवाणी के अनुसार ये एस्टेरॉयड जब धरती के बगल से गुजरेगा तब इसकी धरती से दूरी करीब 35 लाख किलोमीटर होगी. ये दूरी पृथ्वी के चंद्रमा और पृथ्वी बीच की दूरी से करीब दस गुना ज्यादा है.
पिछले साल हुई थी खोज
पिछले साल खोजे गए Asteroid 2021 GT2 की चौड़ाई 121 से 272 फीट है. इसका आकार इतना बड़ा है कि अगर इसकी टक्कर धरती से हुई तो बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा हो सकता है. एटेन-क्लास एस्टेरॉयड की श्रेणी में रखा गया है, जिसका मतलब है कि ये एस्टेरॉयड सूरज की कक्षा में हर 342 दिन में एक चक्कर लगाता है. और इसके साथ ही इस एस्टेरॉयड की कक्षा धरती की ऑर्बिट से क्रॉस करती है.
वैज्ञानिकों द्वारा 1800 से ज्यादा एटेन-क्लास के खोजे गए हैं. इन सबही को धरती के लिए खतरा माना जाता है. 6 जून 2022 को धरती के बगल से गुजरने वाला ये पत्थर अगली बार 26 जनवरी 2034 को 1.45 करोड़ किलोमीटर की दूरी के साथ धरती के बगल से गुजरेगा.
वैज्ञानिक लगे हैं धरती को बचाने में
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वैज्ञानिक काफी समय से ऐसी तकनीकें और मैकेनिज्म तैयार कर रहे हैं, जिससे कि अगर कभी कोई एस्टेरॉयड सामने से धरती की तरफ आया और धरती को उससे खतरा हुआ तो उससे बचा जा सकता है. दूसरी तरफ इस बात पर भी नजर बनाए रहना जरूरी है कि कोई एस्टेरॉयड दूसरे एस्टेरॉयड्स या ग्रह से न टकराए. अगर ऐसा हुआ तो अंतरिक्ष में बड़े पैमाने पर कचरा पैदा करेगा और ये कचरा धरती के लिए खतरा बन सकता है. इसके अलावा ये कचरा चारों तरफ घूम रहे सैटेलाइट्स को नष्ट कर सकता है.
NASA
बता दें कि 6 लाख साल में एक बार ही ऐसा मौका आता है जब बड़े आकार का कोई एस्टेरॉयड धरती से टकराता है. फिलहाल नासा ने DART मिशन लॉन्च किया है. जिसकी मदद से एस्टेरॉयड की टक्कर से धरती को बचाया जा सकता है. इसमें एक स्पेसक्राफ्ट की एस्टेरॉयड से टक्कर कराई जाएगी, जिससे कि उसकी दिशा और गति बदलने की संभावना होगी. इस मिशन के सफल होने का मतलब है कि भविष्य में धरती को एस्टेरॉयड के हमलों से बचाया जा सकेगा.