यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच हर कोई अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहा है. इस कोशिश में बहुतों की जान भी चली गई तो अभी बहुत से लोग देश छोड़कर भागने की कोशिश भी कर रहे हैं. जब सिर पर मौत मंडरा रही हो तो भला कोई बेजुबान जानवरों के बारे में क्यों सोचेगा?
कुछ लोगों ने तो अपने पालतू जानवरों की जान बचा ली मगर बाकी के जानवरों के बारे में किसी ने नहीं सोचा. ऐसे में उस इंसान को मसीहा ही कहा जाएगा जो पालतू नहीं बल्कि सड़क पर घूमने वाले जानवरों की जान बचा रहा है.
बचाई 260 जानवरों की जान
पोलैंड के रहने वाला 32 वर्षीय शख्स युद्ध के बीच अपने देश से बॉर्डर पार कर यूक्रेन में दाखिल होकर बेजुबान जानवरों को वहां से सुरक्षित निकाल रहा है. जाकुब कोटोविक्स नामक इस शख्स ने पिछले 15 दिनों में लवीव शहर से 200 बिल्लियों और 60 कुत्तों को सुरक्षित बाहर निकाल कर उनकी जान बचाई है.
बकरी के बच्चे को बचाया
जाकुब की कोशिश की वजह से बचाए गए पालतू जानवर अब मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक हो रहे हैं. बिल्ली और कुत्ते ही नहीं बल्कि जाकुब ने एक पिगमाय बकरी के बच्चे को भी बचाया है. इस 2 महीने की मासूम का नाम साशा है. जाकुब अब उसे गोद लेने की सोच रहे हैं.
खर्च किये 12 लाख रुपये
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक दिन में लवीव से बॉर्डर पार किया जा सकता है लेकिन इस समय भीड़ के कारण ज्यादा समय लग रहा है. इस दौरान जब जाकुब बिल्लियों को लेकर पोलैंड लौटे ते ये कुछ दिनों तक डर के साए में थीं. सराहनीय बात ये है कि इन बेजुबानों को बचाने के लिए जाकुब किसी मदद पर निर्भर नहीं हैं बल्कि उन्होंने इसका खर्च खुद ही उठाया है. उन्होंने इन जानवरों को युद्ध क्षेत्र से निकालने के लिए 12 लाख देकर दो कारें किराये पर ली थीं.
बता दें कि जाकुब कोटोविक्स एडीए नामक फाउंडेशन में पशु चिकित्सक के तौर पर काम करते हैं. यह संस्था लगभग 15 वर्ष से चल रही है. इसके साथ जुड़े होने के साथ साथ जाकुब का एक निजी पशु चिकित्सालय भी है. जिसमें वह जानवरों का मुफ़्त में इलाज करते हैं.
जाकुब डोनेशन से ही ये सारा खर्च निकालते हैं. इसके अलावा उनके पास आमदनी का कोई अन्य साधन नहीं है. फिलहाल जाकुब ने पशुओं की मदद करने के लिए गिल्डफोर्ड छोड़कर अनिश्चितकाल के लिए पोलैंड में रहने का सोचा है.