इस शख्स ने UPSC की तैयारी छोड़ी, अनोखे तरीके से मशरूम की खेती कर 10 लाख कमा रहे

: नौकरी की किल्लात आज के समय में हो गई है। आजकल कुछ लोग जॉब की चाह छोड़कर बिजनेस की राह पर जा रहे हैं। ऐसा ही बिहार के जहानाबाद के रहने वाले सूर्य प्रकाश (Surya Prakash) ने भी किया है।

सूर्य प्रकाश ने एक अख़बार को बताया, ‘मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) करके अब हम सालाना औसतन 10 लाख रुपए कमा रहे हैं।’ कैसे उन्होंने सीजनल प्लांट लगाया और अब दो कमरे में सालभर खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। इसका पूरा प्लान और डिटेल उन्होंने अख़बार को बताया।

सूर्य ने साल 2019 में सिविल सर्विस की UPSC परीक्षा की तैयारी छोड़कर में मशरूम की खेती शुरू की थी। अब वह दो कमरे में मशरूम का उत्पादन करके हर रोज़ के औसतन 2000 हजार रुपए कमा रहे हैं। यह इनकम का एक शानदार तरीका है। मशरूम की डिमांड सालभर हर मौसम में बानी रहती हैं।

बिहार के जहानाबाद शहर के मलहचक मुहल्ला के रहने वाले सूर्य प्रकाश राजनीतिक शास्त्र से M.A. की पढाई कर चुके हैं। साल 2015 में वह दिल्ली में UPSC की तैयारी करने चले गए थे। लगभग 3 साल सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) की तैयारी करने के बाद जब सफलता हाँथ नहीं लगी, तो वे वापस अपने गांव लौट आए। उन्होंने खेती करने का मन बनाया।

सूर्य (Mushroom Farmer Surya Prakash) ने अख़बार को बताया, की 2019 में सीजनल प्लांट लगाकर मशरूम की खेती (Mushroom Farming) का काम शुरू किया। इस काम में पहले साल कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरे साल से अच्छी पैदावार होने लगी। फिर मार्च 2021 में घर में दो कमरे में मशरूम की खेती शुरू की। मशरुम की पैदावार अच्छी होने लगी और अब वे सालाना 10 लाख रुपए कमा रहे हैं।

सूर्य प्रकाश ने बताया की मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) में पैदावार अच्छी करने के लिए कंपोस्ट की तैयारी करना बहुत अहम् है। सबसे पहले कंपोस्ट बनाने के लिए सभी चीजों को एक खास अनुपात में होना चाहिए। पहले 1000 किलो गेहूं के भूसे की जरूरत होती है। इसमें चिकेन मैन्यूर (मुर्गी के बीट) 30 प्रतिशत या सरसों की खल्ली 30 प्रतिशत डाली जाती है।

 

आपको बता दें की सूर्य के मुताबिक़ उस मिश्रण में जिप्सम 3 प्रतिशत, यूरिया 2-2.5 प्रतिशत, सल्फर 3 प्रतिशत, DAP 1 प्रतिशत मिलाया जाता है। इस मिश्रण में 25 किलो बीज भी मिला देते है। कंपोस्ट को दी तरीकों से तैयार किया जाता है। एक तो टनल मेथड और दूसरी पाइप मेथड है। कंपोस्ट को रेडी होने में औसतन 45 दिनों का वक़्त लग जाता है। तब तक आर्द्रता 80 से 85 रहती चाहिए।

 

आगे की प्रक्रिया में कंपोस्ट को एक बैग में भरा जाता है। फिर इस बैग को ठंड में 80-85 प्रतिशत आर्द्रता वाले रूम में रखा जाता है। इसके लिए फायर ह्यूमिड मशीन लगाकर मैनेज कर सकते हैं। वैसे तो इसे जूट बैग को गीला कर भी मेंटेन किया जाता हैं। सीजनल प्लांट में केवल ठंड में मशरुम की पैदावार होती है। परन्तु इस प्रक्रिया से आप कभी की मशरुम ऊगा सकते हैं। 45 दिनों में कंपोस्ट बैग से हर दिन औसतन 15-20 kg मशरुम उत्पादन होने लगता है।

 

इस खेती में सबसे अच्छी बात यह है की AC कमरे में मशरुम उगा कर हर महीने अच्छी कमाई हो सकती है। मशरुम के प्राइस की बात करें तो ठंड में 160 रुपए प्रतिकिलो और ऑफ सीजन 220-250 रुपए प्रतिकिलो मशरूम बिकता है। पूरे साल भर मशरुम के मांग बनी रहती है। मशरुम से कई प्रकार की डिश बनाई जाती है।

अगर लागत की बात करें तो सीजनल प्लांट को तैयार करने में जहां 1 लाख 80 हजार रुपए खर्च हुए। तो, कमरों में ऑल सीजन पैदावार के लिए 2 लाख का खर्च आया। मशरुम खाने के अपने मेडिकल फायदे भी है, इसलिए लोग इसे खाना पसंद भी करते हैं।