गांवों को हमेशा पिछड़ा समझा जाता है लेकिन अगर यहां रहने वाले लोग अपने हुनर से अपने गांव की पहचान बना लें तो इसे पूरी दुनिया जानने लगती है. इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है तेलंगाना के नलगोंडा जिले का पोचमपल्ली गांव.
चुना गया देश का सर्वश्रेष्ठ गांव
बहुत से लोगों ने भले ही इस गाँव का नाम ना सुना हो लेकिन इसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. इसको लेकर चर्चा होने की वजह है संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा इस गांव को पर्यटन के लिहाज से देश का सर्वश्रेष्ठ गांव चुना जाना. सिल्क सिटी के नाम से मशहूर पोचमपल्ली गांव अपनी बुनाई शैली और ‘इकत’ साड़ियों के लिए जाना जाता है.
ये गांव करता है 200 करोड़ का कारोबार
यह गांव हैदराबाद से 40 किमी दूर स्थित है. हरकरघा से जुड़े छोटे-बड़े 80 समूहों वाले इस गांव में 1500 से अधिक परिवार हैं. इसके साथ ही इस गांव में 10 हजार हरकरघे हैं. अपनी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध इस गांव का 200 करोड़ से अधिक का कारोबार है. यहां 1 साड़ी को तैयार होने में 40 दिन लगते हैं. इसके बाद ये साड़ियां पूरे देश में भेजी जाती हैं.
विदेशों में है यहां की साड़ियों की मांग
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन अपनी विरासत को भी संभालने वाले गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का दर्जा देता है. इसके साथ ही ये दर्जा देने से पहले देखा जाता है कि कौन सा गांव अपनी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. हथकरघा से जुड़ी विरासत को संभालने के साथ पोचमपल्ली अपनी व्यापारिक दृष्टि से भी आगे बढ़ रहा है. यहां बनने वाली इकत साड़ियों की मांग श्रीलंका, मलेशिया, दुबई, यूरोप और फ्रांस समेत कई देशों में है.
2 दिसंबर को स्पेन में मिलेगा इस गांव को अवार्ड
ऐसा नहीं कि सर्वश्रेष्ठ गांव बनने की रेस में अपने देश का ये इकलौता गांव था. इसके अलावा मध्य प्रदेश का लधपुरा, मेघालय का कोंगथोंग भी इस रेस में शामिल थे लेकिन लेकिन अंत में तेलंगाना के पोचमपल्ली को ही सर्वश्रेष्ठ गांव चुना गया. इस बात की जानकारी केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने अपने ट्विटर हेंडल से दी. उन्होंने लिखा कि स्पेन के मैड्रिड में 2 दिसंबर को होने वाली यूएनडब्ल्यूटीओ की आम सभा में इस गांव को अवॉर्ड से नवाजा जाएगा.