गया के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र का लुटीटांड गांव में सुविधाओं से दूर है.
गया. देश इन दिनों 5G की ओर बढ़ चला है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विधानसभा क्षेत्र का एक गांव ऐसा भी है, जहां आज भी बातचीत भर करने के लिए मोबाइल का नेटवर्क लोगों के घरों में नहीं पहुंच पाया है. जब भी लोगों को दूसरों से मोबाइल पर बात करनी होती है, तो उन्हें ऊंचे स्थानों या गांव की इकलौते पक्का मकान वाले स्कूल की छत पर जाना पड़ता है. हालांकि वहां भी मोबाइल का नेटवर्क पूरी तरीके से दुरुस्त नहीं रहता है, लिहाजा स्पीड वाले इंटरनेट सुविधा की तो बात करना ही बेमानी है.
वैसे गांव के हर घर में एक-एक मोबाइल है, जिसे वे लोग बिजली से चार्ज तो कर लेते हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं होने से कोई खास फायदा नहीं है. इसके अलावा दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव के लोग जब बीमार होते हैं, तो भगवान ही उनकी जान बचाता है. अस्पताल जाते-जाते कई लोगों की जान चली जाती है. यह सच्चाई गया जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के लुटीटांड गांव की है, जहां पहुंचने के लिए आज भी करीब 10 किलोमीटर पहाड़ चढ़कर जाना होता है