
हम कई बार सोचते हैं कि बस बहुत हुआ ऑफ़िस का चक्कर, अब वापस अपने घर चलते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ होगा दक्षिण भारत के एक दंपत्ति के साथ. बात है 2003 की जब एक दंपत्ति ने उत्तराखंड के एक अविकसित गांव में आकर बसने का और यहां के लोगों की ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल देने का निर्णय लिया. इस दंपत्ति की वजह से पुर्कल को उत्तराखंड ही नहीं अब दुनियाभर में जाना जाता है. लगभग दो दशकों में Purkal Stree Shakti संस्था ने सैंकड़ों महिलाओं की ज़िन्दगी पूरी तरह बदल दी.
इंडियाटाइम्स हिंदी ने संस्था के साथ काम कर रही बानी बट्टा से खास बातचीत की. इंडियाटाइम्स हिंदी की कोशिश है कि आप तक कुछ ऐसी कहानियां पहुंचाना जिसने समाज में बदलाव की मशाल जलाई.
महिलाओं को सिखाया हाथ का काम
Purkal Stree Shakti
2000 के दशक के शुरुआत में चिन्नी स्वामी ने उत्तराखंड के गांव के कुछ परिवारों के बच्चों की हालत देखी तो उन्हें अंदाज़ा हो गया कि इन बच्चों का भविष्य खतरे में है. स्थानीय बच्चों के लिए एक ट्यूटरिंग प्रोग्राम शुरू किया. आज जिसे पुर्कल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी के नाम से जाना जाता है कभी वो पशुशाला में लगने वाली क्लास थी.
ऐसे घरों से आने वाले बच्चों की मां की हालात कैसी होती होगी, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है. शराब एक बहुत बड़ी समस्या थी जिस वजह से कोई भी घर, घर जैसा नहीं था. शराब के आदी लोगों को न अपने घर की सुध थी और न ही अपने बच्चों की. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चिन्नी स्वामी ने उन्हें हाथ का काम सिखाना शुरू किया.
सुई-धागे और कतरना से ज़िन्दगी बदलने की कोशिश
Purkal Stree Shakti/Founder Chinni Swamy
बानी बट्टा ने बातचीत में बताया, “महिलाओं को अपने घरों में इज़्ज़त नहीं मिलती थी. चिन्नी मैम को लगा कि अगर वो कमाने लगेंगी, अगर उनके हाथ में पैसे आने लगेंगे तो अपने आप ही समाज औरत की इज़्ज़त करने लगेगा. आज भी शराब समस्या होगी किसी-किसी घर में लेकिन उस समय हालत बहुत बद्तर थी. मैम को लगा कि अगर पैसे कमाने का ज़रिया मिल जाएगा तो महिलाओं के अंदर सोया आत्मविश्वास भी जागेगा. मैम ने इनके साथ Patchwork, Applique का काम सिखाना शुरू किया. ये लोग बनाते थे और मैम उसे बेचने की कोशिश करती थी.”
औरतों को सशक्त करना लक्ष्य, बिज़नेस बढ़ाना नहीं
Purkal Stree Shakt
पुर्कल स्त्री शक्ति संस्था का एक ही लक्ष्य है- औरतों को सशक्त करना. ससंथा में शाम के 5 बजे बाद कोई काम नहीं होता ताकि महिलाएं अपने घर को समय दे सकें. बानी बट्टा ने बताया कि महिलाओं को उनके हक के पैसे दिए जाते हैं. और ये बात इस संस्था को एक आदर्श संस्था बनाती है. बानी के शब्दों में, ‘आप अगर इंडस्ट्री स्टैंडर्ड देखेंगे तो अगर कोई आर्टिज़न काम करता है तो उसे सेलिंग प्राइस का 1% मिलता है. हम कोशिश करते हैं कि 40%-60% तक कारीगर को मिले. बाकि रॉ मटैरियल, मार्केटिंग में जाता है. अगर स्टाफ़ रखा है तो उनकी सैलरी.’
आत्मनिर्भर संस्था, डोनेशन्स नहीं ली जाती
Purkal Stree Shakti
बानी बट्टा ने बताया कि पुर्कल स्त्री शक्ति सोशल एंटरप्राइज़ में किसी भी तरह का डोनेशन नहीं लिया जाता. बानी ने कहा, ‘महिलाएं खुद ट्रेन्ड हैं. अगर कोई ज़रूरतमंद महिला हमारे पास काम सीखने के लिए आती है तो हम उन्हें काम सिखाते हैं. फ़्री में उन्हें हाथ का काम सिखाया जाता है. उनका हाथ बैठने लगता है तो उनके काम की मार्केटिंग कैसी करनी है, ये हमारी ज़िम्मेदारी है.’
ऐसे होता है काम
Purkal Stree Shakti
पुर्कल स्त्री शक्ति की वेबसाइट देखें तो उसमें मशहूर आर्टिस्ट वैन गो की स्टारी नाइट्स प्रिंट के बैग भी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की कम शिक्षित महिलाओं को वैन गो की पेंटिंग को बैग में उतारना सिखाते हैं बानी, आस्था और ऐश्वर्या. बानी ने बताया, ‘पहले-पहले हमें थोड़ा बताना पड़ता है. महिलाओं के समूह से लीडर्स चुने हुए हैं. जैसे मैंने एक डिज़ाइन का चयन किया, उसे मैं लीडर के साथ डिस्कस करती हूं, कलर कॉम्बीनेशन बनाती हूं. पहला सैंपल वो बनाते हैं और उसके बाद महिलाओं के हाथ में देते हैं. अगर उस डिज़ाइन का अच्छा रेस्पोंस मिलता है तो हर कोई बनाता है.’
बानी ने बताया कि एक बड़ी रज़ाई बनाने में 12-15 हफ़्ते लगते हैं. कस्टमर्स को बीच-बीच में तस्वीरें, वीडियोज़ आदि भी भेजे जाते हैं. कोविड की वजह से ये महिलाएं भी वर्क फ़्रॉम होम करने लगी हैं. उन्होंने मोबाइल फ़ोन, वाट्सऐप आदि चलाना भी सीखा है. रज़ाइयों में सूती के कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. बानी बट्टा ने बताया कि वो ऑर्डर भी उतने ही लेते हैं जितना काम किया जा सके क्योंकि एक-एक कपड़े के साथ किसी की याद जुड़ी है. बानी के शब्दों में, ‘हम तसल्ली से काम करेंगे क्योंकि ये कोई आम कपड़ा नहीं है. किसी के लिए उन कपड़ों की बहुत एहमियत है.’
बानी ने बताया कि पुर्कल स्त्री शक्ति संस्था में काम करने वाली महिलाओं की सेहत का ध्यान रखते हुए पहले खाना भी दिया जाता था. महिलाएं एनिमीक थीं और जी के स्वामी के रक्तदान शिविर लगाया भी जाता तो वे दान नहीं कर पाती थी. धीरे-धीरे महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ.
उत्तराखंड की महिला का काम ऑस्ट्रेलिया तक पहुंचा
Purkal Stree Shakti
पुर्कल स्त्री शक्ति की महिलाओं का काम कई सेलेब्स की घर की शोभा भी बढ़ा रहा है. बानी ने बताया कि संस्था की महिलाओं ने कई सेलेब्स के लिए काम किया है. बानी ने बताया, ‘हमने Lufthansa के लिए काम किया है, उन्होंने जर्नल्स बनवाए थे. हमने Gap के लिए काम किया था. ऑस्ट्रेलिया के एक फ़र्म के लिए काम किया. हमारे वर्कशॉप पर राधिका आप्टे आ चुकी हैं, गुलशन देवरिया आए थे, विक्की कौशल ने हमसे रज़ाई ली थी. हम लोगों ने अक्षय कुमार को भी रज़ाई गिफ़्ट की थी.’
पुर्कल स्त्री शक्ति की हर रज़ाई में कारीगर का नाम उकेरा जाता है. प्यार, अपनेपन से एक-एक कतरन जोड़कर उत्तराखंड की महिलाओं का काम आज दुनियाभर में फैल चुका है.