यह महिला ‘कागज़ी बोतल’ बना रही, दुनिया को प्लास्टिक बोतल की गंदगी से मुक्त करवाने की मुहीम

जैसा की हमें पहले से यह पता है की प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है और कई बार प्लास्टिक की थैलियों से लेकर प्लास्टिक बोटल्स (Plastic Bottles) में प्रतिबन्ध भी लग चुका है, परन्तु यह सफल नहीं हो सका। इसका कारण यह है की प्लास्टिक के बिना अपनी लाइफ़ नहीं चल सकती है।

यदि हम प्लास्टिक का इस्तेमाल ना भी करें, तो भी किसी न किसी तरीके से प्लास्टिक हमें मिल ही जाएगा। हर रोज़ कई टन प्लास्टिक पृथ्वी पर जमा हो रहा है और अब तक इसका कोई पर्मानेंट सॉल्यूशन भी नहीं आ सका है। यहाँ तक के हिमालय का शिखर भी प्लास्टिक की टैलियों और बोलटस से नहीं बच पाया है। वहां भी यह कचरा जमा है।

प्लास्टिक जमीन और पानी के स्रोतों को खराब कर रहा

यह प्लास्टिक जमीन और पानी के स्रोतों को खराब कर रहा है। वर्ल्ड वाइड फंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंसान 7 दिनों में करीब 5 ग्राम प्लास्टिक खा जाता है। इसमें से ज्यादातर पानी के साथ यह प्लास्टिक जा रहा है। ज़रा सोचिये की यह मानव शरीर में लिए कितना नुकसानदायक है।

साल 2018-2019 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में हर साल 3.3 मिट्रिक टन प्लास्टिक जमा होता है। कहीं हमारी इन गलतियों की सजा आने वाली पीढ़ियों को न झेलनी पड़ जाएँ, इसी को ध्यान में रखते हुये कुछ लोग पॉलीथिन प्रदूषण को रोकने में अपना अनमोल योगदान दे रहे हैं। दुनिया से प्लास्टिक को कम करने के मिशन को लेकर नोएडा की एक महिला ने एक अनोखा काम किया है।

कागज़ की बोतल 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल

नोएडा की महिला समीक्षा गनेड़ीवाल (Samiksha Ganediwal) कागज़ की बोतल बना रही है, जो 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल है। समीक्षा ने हमें बताया की कागजी बॉटल्स (Kagzi Bottles) पूरी दुनिया की पहली ऐसी बोतल है, जो पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है। इससे पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है।

हिंदी अख़बार को समीक्षा ने बताया कि कॉलेज के दिनों में वे प्लास्टिक बैग्स को रिप्लेस करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। तब उन्होंने ख़ुद अपनी लाइफ़ से प्लास्टिक को कम करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कोई दूसरा ऑब्शन नहीं मिल रहा था। उन्होंने इसी दौरान प्लास्टिक का विकल्प खोजने पर ध्यान देना शुरू किया।

साल 2016 में अपना स्टार्टअप शुरू किया

समीक्षा ने विजनन ज्योथि इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट से MBA किया और फिर हैदराबाद, नोएडा के कई कंपनियों में नौकरी भी की। फिर साल 2016 में समीक्षा ने पैकेजिंग सॉल्यूशन्स की अपनी कंपनी शुरू कर दी और प्लास्टिक बोतल का दूसरा विकल्प खोजना चालू किया।

 

समीक्षा को प्लास्टिक का अन्य ऑब्शन खोजने के लिए बहुत रिसर्च की, लेकिन उन्हें इसका उपाए नहीं मिल रहा था। ऐसे में उन्होंने कई वैज्ञानिकों, प्रोडक्ट डिज़ाइनर्स से बातचीत की। फिर उन्हें कागज़ की बोतल बनाने का आईडिया आया और अब काम शुरू करने के लिए सही मशीनरी ढूंढना, बाजार से कच्चा माल लेना और मार्केटिंग करना बहुत बड़ी चुनौती थी।

 

जनता के बीच Kagazi Bottles को पहुँचाना बड़ी चुनौती थी। समीक्षा ने पहले अपने घरवालों, दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भूरे रंग की बोतलें दिखाई। लोगों को प्लास्टिक बोतल की आदत पड़ चुकी थी। समय रहते समीक्षा की मुहीम रंग लाने लगी और लोगो को उनकी कागज़ की बोतल पसंद आने लगी।

मुहीम मेड इन इंडिया का सहारा मिला

समीक्षा की कागज की भूरे रंग बोतल (Brown Colour Bottles) भारत में बनाई गई थी और वो इसका नाम इंडियन टच वाला ही देना चाहती थी। ऐसे में समीक्षा ने कंपनी का नाम भी ‘Kagzi Bottles’ रखा। वे इन कागज़ की इन बोतलों को बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी कागज़ लेती है।

 

समीक्षा की ये बोतलें कागज के बेकार कचरे का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं। बेकार कागजों को पानी और केमिकल्स के बीच मिक्स किया जाता है। इसकक माड़ बनने के बाद बोतल का शेप दिया जाता है। फिर सॉल्यूशन का स्प्रे होता है, जिसमें केले के पत्ते के वाटर रेजिस्टेंट गुण होते हैं। ऐसा करके सूखने पर कागज़ की बोतल तैयार हो जाती है।

इन बोतलों को बनाने में 2 दिन लगते हैं और इनमें कोई भी तरल पेय पदार्थ स्टोर किया जा सकता है। अभी समीक्षा की कंपनी हर महीने 22 लाख बोतल बना रही है और एक बोतल की क़ीमत 19 रुपये से 22 रुपये तक बताई गई है।