शिमला (जस्टा): हिमाचल में अब स्क्रब टायफस जानलेवा बन चुका है। आईजीएमसी में सोलन के रहने वाले 54 साल के व्यक्ति की स्क्रब टायफस से मौत हो गई है। प्रदेश में यह पहली मौत है। यह व्यक्ति 28 अगस्त से आईजीएमसी के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती था। इस साल स्क्रब टायफस को लेकर 600 मरीजों के टैस्ट किए गए हैं, जिसमें से 56 मामले पॉजिटिव आ चुके हैं। ध्यान रहे कि अब सीजन शुरू हो गया है। अब लगातार स्क्रब टायफस के मामले आने शुरू हो गए हैं। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी होगी। स्क्रब टायफस को लोग बिल्कुल भी हल्के में न लें। अगर लापरवाही बरती तो आपकी जान पर भारी पड़ सकता है। हर वर्ष स्क्रब टायफस लोगों को अपना ग्रास बनाता है। आपको अगर इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डाॅक्टर के पास जाएं। चिकित्सक द्वारा कोरोना के साथ-साथ अब स्क्रब टायफस के टैस्ट किए जा रहे हैं।
हर साल स्क्रब टायफस को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट रहता है। पहले ही विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। चिकित्सक ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर लोग घास काटते हैं तो वे चिकित्सक को बताएं। ताकि चिकित्सक समय से उसका इलाज कर सके। बरसात के दिनों में स्क्रब टायफस के अधिक मामले आते हैं। विभाग का दावा है कि स्क्रब टायफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है। स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टायफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं।