रावण जब सीता का अपहरण करके ले गया तो सीता बहुत व्याकुल स्थिति में थीं. कई बार अपनी जान दे देने के बारे में सोचती थीं. कई बार रावण आकर उनको धमकाता था. मारने की धमकी ही नहीं देता था बल्कि कई बार तो उसने सीता को मारने के लिए तलवार भी निकाल ली. ऐसे में रावण के परिवार की ही 04 स्त्रियों ने ना केवल सीता को बचाया. ये सभी सीता के प्रति दोस्ताना, फिक्रमंद और भला सोचने वाली थीं. उन्होंने ऐसा किया भी.
मंदोदरी रावण की पत्नी और पटरानी थी. वह बहुत सुंदर, दयालु और बुद्धिमान स्त्री थी. जब रावण सीता का अपहरण करके उन्हें लंका लेकर आया तो मंदोदरी ने लगातार उससे सीता को वापस पहुंचाने और उससे दूर रहने के लिए कहा. हालांकि रावण ने अपनी पत्नी की एक नहीं सुनी.
मंदोदरी ने ये सुनिश्चित किया था कि सीता को अशोकवाटिका में कोई दिक्कत नहीं हो. वह वहां सुरक्षित रहें. अपने लोगों के जरिए वह वहां का लगातार हाल लेती रहती थी. यही नहीं रावण के कोप से भी वह सीता का बचाकर रखने में कामयाब रही. जब रावण ने एक बार गुस्से में सीता का सिर धड़ से अलग करने के लिए तलवार निकाल ली तो मंदोदरी ने तुरंत रावण को ऐसा करने से रोका. उसने रावण को समझाया कि उसको क्यों ऐसा नहीं करना चाहिए. मंदोदरी कतई नहीं चाहती थी कि सीता को लंका में रहते हुए जरा सा भी नुकसान पहुंचे. (विकी कामंस)
सरमा को लंका की उन महिलाओं के तौर पर जाना जाता था जो विदुषी तो थी हीं साथ ही परोपकारी भी. वह हमेशा न्याय के रास्ते पर चलने पर विश्वास करती थी. अपने पति विभीषण को इसीलिए उसने रावण की बजाए राम का साथ देने के लिए कहा. सरमा के बारे में कहा जाता है कि वह राक्षसी नहीं बल्कि गंधर्व थीं. वह सीता के प्रति बहुत दोस्ताना थीं. अक्सर उनसे मिलने अशोकवाटिका जाती थीं और हर तरह से उनका ख्याल रखती थीं. उन्हीं की वजह से रावण ने उनकी बेटी त्रिजटा को सीता पर नजर रखने के लिए रखा. हालांकि सरमा का ये कराने का उद्देश्य ये था कि उनकी बेटी त्रिजटा ज्यादा मानवीय तरीके से सीता के पास रहकर उनके दुखों पर मरहम लगाती रहेगी. (विकी कामंस)
इंडोनेशिया के कई मंदिरों में विभीषण के साथ सरमा की मूर्तियां हैं. सरमा अपने पति से बहुत प्यार करती थी. चूंकि वह राजपरिवार की थी लिहाजा रावण की हर योजना के बारे में सीता को बताती रहती थी. हनुमान किस तरह लंका को धू-धूकर जलाते हैं, वो बात भी वह सीता का बताती है. वह लगातार सीता के अशोकवाटिका में रहने के दौरान ये सुनिश्चित करती रहे कि सीता को भावनात्मक तौर पर टूटने से बचाए. (विकी कामंस)
ये बैंकाक में लगा मंदोदरी और धन्यमालिनी का एक पोट्रेट है. धन्यमालिनी रावण की दूसरी पत्नी और मंदोदरी की छोटी बहन थी. अपनी बड़ी बहन की तरह परोपकारी और सहृदय. वह भी चाहती थी कि रावण किसी भी तरह सीता का कोई अहित नहीं कर पाए. उसने भी अशोकवाटिका में सीता का ख्याल रखा. उसके सामने भी रावण जब नाराज होकर सीता का प्राण लेने को उद्यत हुआ तो उसने सीता का बचाव किया. हालांकि धन्यमालिनी पतिव्रता स्त्री थी. पति से प्यार करती थी. जब रावण की चिता जलाई जा रही थी तो उसने भी उसमें कूदकर जान दे दी. ( विकी कामंस)
त्रिजटा का वर्णन रामायण और दक्षिण पूर्व एशिया के रामायण के दूसरे संस्करणों में खूब विस्तार से हुआ है. क्योंकि राम रावण युद्ध के बाद उसकी भूमिका काफी बड़ी और असरदार हो जाती है. इस चित्र में त्रिजटा पुष्पक विमान के जरिए सीता को युद्ध स्थल पर ले जाती हैं और ये दिखाती हैं रावण के मायाजाल में आने की जरूरत नहीं है. उनके पति मृत नहीं हुए बल्कि जीवित हैं. त्रिजटा के मां-पिता विभीषण और सरमा थे. वह बहुत बुद्धिमान और साहसी महिला तो थी ही साथ ही ऐसी स्त्री भी जिसने पग पग पर किसी सच्ची सहेली की तरह सीता का साथ दिया और उन्हें भावनात्मक तौर पर बिखरने नहीं दिया. ( विकी कामंस)