Success की वो 7 कहानियां, जिन्होंने साबित किया कि मेहनत करने वाले अपनी किस्मत खुद लिखते हैं

मांझी फिल्म का एक डायलाग है, तुम भगवान भरोसे मत बैठो, क्या पता भगवान तुम्हारे भरोसे बैठे हो. आसान शब्दों में, जो लोग अपनी आर्थिक तंगी या अन्य संघर्ष से लड़ने की क्षमता रखते हैं..सफलता कभी उन्हें पीठ नहीं दिखाती है.

इस बात को कुछ लोगों ने बड़ी खूबसूरती से साबित किया है. एक सिक्योरिटी गार्ड के बीटा भारतीय सेना का प्रतिनिधत्व करता है, तो एक दुकानदार की बेटी आईपीएस बनती है. अपनी मेहनत और लगन से इन लोगों ने अपनी किस्मत खुद लिखी और आज ये सफल हैं.

आइये आज कुछ लोगों की कहानी के बारे में जानते हैं, जिन्होंने विपरीत हालातों को मात देकर सफलता हासिल की.

मुंशी की बेटी जज बनी

रुड़की की रहने वाली आयशा फरहीन के पिता एक वकील के यहाँ मुंशी का काम देखते थे. उनके पिता शराफत अली को तब गर्व महसूस हुआ जब उनकी बेटी ने पहले प्रयास में ही न्यायिक परीक्षा पास कर ली. वह अब जज बनेंगी.

पीसीएस-जे की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली आयशा ने बीएसएम कॉलेज से बीए और लॉ की पढ़ाई की और फिर एएमयू से एलएलएम करने के बाद प्रयागराज में परीक्षा की तैयारी की. आयशा की मां ने बेटी की सफलता पर कहा, “मैं कभी स्कूल नहीं गई. पढ़ाई नहीं कर पाई. लेकिन, मेरी बेटी ने नाम रोशन कर दिया. मैंने बस रोटियां बनाई हैं, लेकिन बेटी ने पढ़कर नाम कमाया है.”

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दुकानदार की बेटी बनी IPS

बीई इलेक्ट्रोनिक्स, इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट कश्मीर की IPS बिस्मा काजी का सफ़र इतना आसान नहीं रहा. बिस्मा के पिता मोहम्मद शफी काजी एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. परिवार आर्थिक तंगी से जूझा, लेकिन पिता ने बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी.

NBT को दिए एक इंटव्यू में बिस्मा बताती हैं कि इंजीनियर बनकर प्राइवेट सेक्टर उन्हें अच्छी खासी नौकरी मिल सकती थी. मगर उनकी मां ने उन्हें सिविल सर्विसेज के प्रेरित किया. इसके बाद उन्होंने साल 2015 में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और सफल हुई.

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सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बना लेफ्टिनेंट 

सोनूकांत उपाध्याय के पिता चंडीगढ़ में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं. उन्होंने कभी बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी और आज सोनूकांत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. 17 साल तक एक किराए के मकान में रहने वाले सिक्योरिटी गार्ड शोभाकांत उपाध्याय के बेटे सोनूकांत देहरादून में सैन्य अकादमी के पासिंग परेड में लेफ्टिनेंट बने थे.

साल 2014 में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर आर्मी ज्वाइन कर ली. इसके बाद आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की परीक्षा पास करके मिलिट्री अकादमी पहुंचे और 4 साल की ट्रेनिंग के बाद वह सैन्य अकादमी पास आउट होकर लेफ्टिनेंट बन चुके हैं.

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इलेक्ट्रीशियन की बेटी बनेगी मेयर

केरल के तिरुवनंतपुरम की 21 साल की आर्या राजेंद्रन ने स्थानीय निकाय चुनाव में कांटेस्ट किया और जीतने में कामयाब हुई. इसके बाद वह अब शहर की मेयर बनने जा रही हैं. वह केरल की सबसे युवा मेयर हैं. उनके पिता इलेक्ट्रिशियन हैं और मां एलआईसी एजेंट हैं. हाल ही में मुडावनमुगल वार्ड से जीत दर्ज कीं और सीपीएम की जिला इकाई ने मेयर पद के लिए उन्हें चुना है.

बता दें, आर्या बीएससी में पढ़ती हैं. उन्होंने कहा, मैं एक स्टूडेंट होते हुए चुनाव लड़ रही थी, इसलिए चुनाव के दौरान लोग मुझे पसंद कर रहे थे. मैं अपनी शिक्षा जारी रखूंगी. मेयर के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करूंगी. 

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दूध वाले की बेटी बनी जज

उदयपुर के दूधिया की बेटी सोनल शर्मा ने साल 2018 में राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) परीक्षा पास की थी और अब वो जज बनने वाली हैं. 26 वर्षीय सोनल ने अपना सारा जीवन एक गौशाला में पढ़ा है और बाधाओं के बावजूद वह BA, LLB और LLM की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रही थीं.

आर्थिक तंगी के चलते सोनल ट्यूशन या महंगी अध्ययन सामग्री का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थी. अपनी साइकिल से कॉलेज में जाती थीं.उनके माता-पिता ने उसकी शिक्षा के लिए क़र्ज़ लिया. TOI से बात करते हुए, “ज्यादातर समय, मेरी चप्पल गाय के गोबर से सनी होती थी. जब मैं स्कूल में थी, तो मुझे अपने क्लासमेट्स को यह बताने में शर्म महसूस होती थी कि मैं एक दूधवाले के परिवार से थी. लेकिन अब, मुझे अपने माता-पिता पर गर्व महसूस होता है.”

Sonal SharmaYoutube/Screenshot

पंक्चर की दुकान चलाने वाले के बेटे ने बनाई बाइक 

यूपी के मिर्ज़ापुर के पार्ट टाइम टायर पंचर ठीक करने वाले और एक किसान के बेटे नीरज मौर्य ने 50 किलोमीटर तक चलने वाली बैटरी वाली मोटरसाइकिल बनाई है. 

नीरज बीए के छात्र हैं. उन्होंने मोटरसाइकिल बनाने में करीब एक महीना का समय लगा. इसे बनाने में कुल 30 हज़ार का खर्च आया. बिना किसी ट्रेनिंग के इस बाइक को बनाना नीरज की काबिलियत का नमूना है.

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जब अपनी बेटी को पिता ने किया सलाम

हाल ही में, आंध्र प्रदेश पुलिस ने अपने अकाउंट पर एक तस्वीर फोटो शेयर की जिसमें एक पिता अपनी बेटी को सलाम कर रहा है. दरअसल, आंध्रप्रदेश पुलिस के फर्स्ट ड्यूटी मीट में एक CI यानी सर्किल इंस्पेक्टर ने अपनी DSP बेटी को सैल्यूट किया. इस दौरान उस पिता के चेहरे की ख़ुशी देखने लायक थी. 

तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, “साल के पहले ड्यूटी मीट ने एक परिवार को मिला दिया. सर्किल इंस्पेक्टर श्याम सुंदर अपनी बेटी डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस जेसी प्रशांती को सैल्यूट करते हुए. वाकई में एक दुर्लभ और भावुक कर देने वाला दृश्य!”