Congress President Election Updates : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का दावा करते हुए शशि थरूर के अंदर कुछ डर भी दिख रहा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कुछ ऐसी बातें की हैं जिससे लगता है कि उन्हें चुनाव में कुछ गड़बड़ी होने का डर सता रहा है।
तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा कि वह केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री से यह सार्वजनिक स्पष्टीकरण की उम्मीद करते हैं कि चुनाव गुप्त मतदान के जरिए होगा, दिल्ली में उम्मीदवारों एवं उनके एजेंट के सामने सीलबंद मतपेटियां खोली जाएंगी और मतगणना शुरू होने से पहले ही सभी मतपत्रों को मिला लिया जाएगा। थरूर ने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि मिस्त्री आने वाले दिनों में इसपर स्पष्टीकरण दें।’
थरूर के गुप्त मतदान में ‘खेल होने’ की उम्मीद
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ ऐसे नेता हैं जो वरिष्ठ नेताओं के नाराज होने की आशंका चलते उनका खुलकर समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए वोट कर सकते हैं, थरूर ने कहा, ‘मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने कई कारणों के चलते खुलकर मेरा समर्थन नहीं किया है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन जताया है।’ उन्होंने दावा किया, ‘उनके (समर्थन करने वाले डेलीगेट) कुछ नेताओं ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे मेरे प्रतिद्वंद्वी का समर्थन करें। उन्हें लगता है कि वे अपने नेताओं की खुलकर अहवेलना नहीं कर सकते। ऐसे बहुत सारे लोग आखिर में मेरे लिए वोट कर सकते हैं।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 66 वर्षीय थरूर ने कहा कि बहुत सारे डेलीगेट ने निजी रूप से अपनी भावनाएं प्रकट की हैं और उन्हें कोई कारण नहीं नजर आता कि वोट के गुप्त होने के बावजद वो उनका साथ नहीं दें।
उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि ऐसे बहुत सारे लोगों के डर को खत्म करने के लिए गोपनीय मतदान महत्वपूर्ण जो अब भी यह मानकर चल रहे हैं कि उनके राजनीतिक संरक्षक यह पता कर लेंगे कि उन्होंने किसे वोट दिया है। मेरे अलाकमान ने विश्वास दिलाया था कि कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है। ऐसे में मेरे साथियों को मुझे वोट देने में डरना क्यों चाहिए?’
थरूर बोले- 19 अक्टूबर को टूट जाएगा ‘उनका’ भ्रम
उनका कहना था कि जो लोग इस चुनाव में 1997 और 2000 की तरह एकतरफा जीत की उम्मीद कर रहे हैं वो 19 अक्टूबर को हैरान होने वाले हैं। शशि थरूर ने कहा, ‘मैं चुनाव नतीजे को झटके और व्यक्तिगत जीत के रूप में नहीं देखूंगा क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूं कि चाहे मैं जीतूं या खरगे जी जीतें, सिर्फ यह मायने रखता है कि कांग्रेस जीते।’ वर्ष 1997 में हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सीताराम केसरी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शरद पवार और राजेश पायलट को पराजित किया था तो 2000 के चुनाव में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को बुरी तरह मात दी थी।
क्या थरूर को चुनाव में धांधली का डर सता रहा है?
यह पूछे जाने पर कि पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता, खरगे के साथ खड़े नजर आ रहे हैं तो थरूर ने कहा कि गांधी परिवार ने मिस्त्री को अधिकृत किया है कि वो उम्मीदवारों को गुप्त मतदान के बारे में विश्वास दिलाएं तथा सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा करें, जैसा उन्होंने बार-बार किया भी है, इसके विपरीत कुछ भी करना गलत होगा। थरूर के अनुसार, ‘नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरी आजादी है कि उनकी अपनी प्राथमिकता हो… कुछ पदाधिकारियों द्वारा दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन किए जाने का मामला मैं केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण और आप (मीडिया) पर छोड़ता हूं।’
हमारा असली मुकाबला बीजेपी से: शशि थरूर
खरगे के साथ बहस के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘मैं खरगे जी से सहमत हूं कि हमारा असली मतभेद एक-दूसरे के साथ नहीं, भाजपा के साथ है। मैं यह कहता रहा हूं कि यह प्रतिद्वंद्वियों के बीच मुकाबला नहीं, बल्कि सहयोगियों के बीच दोस्ताना मुकाबला है जिनके पास पार्टी को आगे ले जाने का अलग-अलग नजरिया है।’ थरूर ने कहा कि बहस के विचार से उन्होंने सिर्फ इसलिए सहमति जताई थी कि इसके जरिये वो लोग पार्टी के भविष्य के संदर्भ में उम्मीदवारों के नजरिए के बारे में जान सकें जो इसमें दिलचस्पी रखते हैं। ध्यान रहे कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान होना है और 19 अक्टूबर को मतगणना होगी। खरगे और थरूर उम्मीदवार हैं। खरगे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।