धर्मपुर के हज़ारों मनरेगा मज़दूर भाजपा से चुनावों में लेंगे बदला -मज़दूर यूनियन
मज़दूर यूनियन ने सरकार द्धारा मज़दूरों को मिलने वाली सहायता राशी और सामग्री बन्द करने की निंदा की है और इसका बदला 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में लेने का निर्णय लिया है।यूनियन की धर्मपुर खण्ड कमेटी की बैठक अध्यक्ष करतार सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें प्रदेश सरकार द्धारा मज़दूरों के लाभ बन्द करने की कड़े शब्दों में निंदा की गई।यूनियन अध्यक्ष के बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार मनरेगा मज़दूरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और उन्हें निर्धारित 350रु दिहाड़ी अदा नहीं कर रही है।मनरेगा मज़दूरों को सौ दिनों का काम भी नहीं मिल रहा है और केंद्र की भाजपा सरकार ने बजट में कटौती कर दी है।ऑनलाइन हाज़री और कार्यों की असेसमेंट के नाम पर मजदूरी में कटौती की जाती है।यूनियन के राज्य महासचिव और पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकार ने पहले महिला मज़दूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाली वाशिंग मशीन बन्द की और बाद में इंडक्शन हीटर, सोलर लैम्प, साइकलें, कंबल, वाटर फिल्टर, टिफ़िन सेट, डिन्नर सेट इत्यादि भी बन्द कर दिए हैं।सरकार ने चुनावों से दो माह पूर्व मज़दूरों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति, विवाह शादी, चिकित्सा, प्रसूति,पेंशन इत्यादि की सहायता भी बन्द कर दी है।
उन्होंने बताया कि धर्मपुर के विधायक व मंत्री ने पिछले विधानसभा चुनावों के समय महिला मज़दूरों को वाशिंग मशीन के बदले बारह बारह हज़ार रुपये देने का झांसा देकर वोट ले लिये थे लेकिन पांच साल सरकार में चार चार विभागों के मंत्री रहने के बाबजूद भी इस बारे कुछ नहीं कर पाए।यही नहीं पिछली सरकार के समय स्वीकृत सामग्री भी मंत्री ने समय पर बंटने नहीं दी।अब सरकार ने सभी प्रकार के लाभ ही बन्द कर दिए हैं।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दिनों मंत्री ने कुल्लू ज़िला के एक सार्वजनिक प्रोग्राम में ये भाषण दिया था कि धर्मपुर के मनरेगा मज़दूर कोई काम नहीं करते हैं और बिना काम के ही दिहाड़ी लेते हैं।दूसरी तरफ उनके बेटे ने भी मंडी लेबर ऑफ़िस में जाकर महिला कर्मचारियों को धमकियां दी थी और बाद में मंत्री ने उन्हें मुख्यमंत्री के समक्ष सर्कट हाऊस में अपशब्द कहे थे उन्हें मंडी से ट्रांसफ़र करवा दिया था।
जिसका वीडियो भी उस समय सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था लेकिन मुख्यमंत्री ने भी मंत्री पुत्र का बचाव किया था।जिसके कारण मज़दूरों को मिलने वाले लाभ दो साल लेट हो गये हैं।मंत्री पुत्र ने धर्मपुर खण्ड में यूनियन के माध्यम से स्वीकृत हो रहे लाभों को लंबित करने का दबाब कर्मचारियों पर डाला था और लाभ समय पर न स्वीकृत करने के लिए दबाब डाला था।इस तरह प्रदेश की भाजपा सरकार और धर्मपुर के विधायक और उनके परिवार ने मनरेगा मज़दूरों को मिलने वाले लाभों को जारी करने में अड़ंगे ही डाले जिसके चलते अब मनरेगा मज़दूर इनके ख़िलाफ़ मतदान करके बदला लेंगे और इन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए काम करेंगे।