शिमला, 24 सितंबर : शिमला जिले की चौपाल विधानसभा में कांग्रेस के टिकट के लिए दो दिग्गज नेताओं में घमासान जारी है। वहीं, भाजपा विधायक बलबीर सिंह वर्मा की राह भी आसान नहीं है। प्रमुख पार्टियों ने उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए। लिहाजा टिकट की जंग जारी है। बीते दिन पूर्व कांग्रेस विधायक सुभाष मंगलेट ने सोनिया गांधी से शिकायत कर डाली कि प्रदेश में कांग्रेस का सर्वे फर्जी है। इस मामले में सोनिया गांधी से हस्तक्षेप करने की मांग की है। कांग्रेस टिकट के एक अन्य तलबगार रजनीश किमटा हाईकमान में अपनी पैठ के चलते टिकट के लिए आश्वस्त होकर प्रचार में जुटे है।
चौपाल विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक रूप से उत्तराखंड के जौनसार बाबर से सटा हुआ हुई है। विधान सभा का क्षेत्र काफी विस्तृत है। चौपाल में 1977 के बाद 3 दफ़ा निर्दलीय विधायकों ने जीत का परचम लहराया है। पढ़े-लिखे लोगों की चलते यहां पार्टी से अधिक उम्मीदवार की निजी छवि को महत्व दिया जाता है। मतदाता पार्टी लाइन से उठ कर वोटिंग करते है। क्षेत्रवाद यहां हावी नहीं है। कांग्रेस में पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट को रजनीश किमटा की चुनौती के चलते कांग्रेस यहां फुट का शिकार हो सकती है।
वहीं भाजपा में बलबीर वर्मा तीसरी दफा विधायक बनने के लिए आतुर है। उन्हें पार्टी के भीतर ज्यादा चुनौतियों का सामना भी नहीं करना पड़ रहा है। आर्थिक रूप से भी बलबीर वर्मा व रजनीश किमटा काफी सक्षम है। चेता-कुपवी क्षेत्र में सबसे अधिक वोटर है। जहां दोनों दलों का सम्मान दबदबा है। चौपाल के अलावा बलसन, नेरवा व झिक्नी पूल क्षेत्र में निर्णायक मतदाता है। चौपाल में सबसे अधिक संख्या राजपूत वोटरों की है।
वहीं इस विधानसभा में मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका अदा करते है। पूर्व विधायक केवल राम चौहान के अलावा यहां राधारमण शास्त्री व योगेंद्र चंद यहां से दो-दो दफा विधायक रहे है। पूर्व सीएम शांता कुमार की सरकार में राधारमण शास्त्री शिक्षा मंत्री भी रहे। केवल राम चौहान 1967, 1972 व 1982 में यहां से जीते। वहीं राधारमण शास्त्री 1977, 1990 में विधायक बने 1993 व 1998 में यहां जुब्बल के राजा योगेंद्र चंद विधायक रहे। वर्ष 2003 में सुभाष मंगलेट यहां से निर्दलीय जीते। बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए। फिर 2007 में वो दोबारा विधायक बने।
2012 में सुभाष को निर्दलीय बलबीर सिंह वर्मा ने पराजित कर दिया। बाद में 2017 में बलबीर भाजपा के टिकट पर दोबारा यहां से विधायक बने। चौपाल के मतदाता तीसरी दफा किसी को भी विधायक बनने का मौका नहीं देते। देखना है इस बार बलबीर वर्मा इस मिथ को तोड़ पाते हैं या नहीं।