मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने वाली बाघिन T-1 की मौत हो गई है. बाघिन का कंकाल नेशनल हाइवे-39 से कुछ मीटर दूर अंदर जंगल में एक गांव के पास मिला. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सबसे पहले बाघिन के मृत शरीर को पैट्रोलिंग स्टाफ़ ने देखा.
पन्ना टाइगर रिज़र्व की पहली बाघिन की मौत
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The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघों की जनसंख्या खत्म हो गई थी. बाघिन T-1 की बदौलत यहां बाघों का कुनबा बढ़ा. बीते मंगलवार शाम को पेट्रोलिंग स्टाफ़ ने बाघिन के मृत शरीर को देखा. T-1 की उम्र 17 साल थी.
बाघिन T-1 ने 13 शावकों को दिया था जन्म
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पन्ना टाइगर रिज़र्व बाघ रहित हो गया था. इसके बाद यहां टाइगर रिइन्ट्रोडक्शन प्रोजेक्ट चलाया गया जिसकी वजह से बाघों की जनसंख्या बढ़कर 80 हो गई. बाघिन T-1 ने कुल 13 शावकों को जन्म दिया था. आखिरी बार 2016 में बाघिन T-1 ने 6 शावक जन्मे थे.
पन्ना टाइगर रिज़र्व देशभर के टाइगर रिज़र्व्स के लिए आदर्श बना और इसका श्रेय बाघिन T-1 को जाता है.
पन्ना टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों के अनुसार बाघिन T-1 की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई. बाघिन के मृत शरीर के पास ही उसका रेडियो कॉलर मिला. फोरेंसिक जांच के लिए बाघिन के सैम्प्लस लिए गए और उसके शरीर को NTCA गाइडलाइन्स के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया.
3 साल की उम्र में आई थी पन्ना टाइगर रिज़र्व
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टाइगर रिइन्ट्रोडक्शन प्रोजेक्ट के तहत बांधवगढ़ से 4 मार्च, 2009 को बाघिन T-1 को पन्ना टाइगर रिज़र्व लाया गया था. उसके साथ कान्हा नेशनल पार्क से दूसरी बाघिन T2 को भी लाया गया था. इन दोनों के साथ पेंच टाइगर रिज़र्व से नर बाघ, T3 भी पन्ना आया था. नवंबर 2009 में T3 पेंच स्थित अपने घर की तरफ़ चलने लगा था, बिना इंसानों को नुकसान पहुंचाए. तकरीबन 1 महीने बाद उसे वापस पन्ना लाया गया था. वो धीरे-धीरे पन्ना में रहने का आदी हो गया. कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि जंगली बाघ में ऐसी प्रवृत्ति पहले नहीं देखी गई थी.
T3 ने बाघिन T2 और बाघिन T1 के साथ संबंध बनाए. अप्रैल 2010 में बाघिन T1 ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में चार शावकों को जन्म दिया. अक्टूबर 2010 में बाघिन T2 ने भी शावकों को जन्म दिया.
गौरतलब है कि पिछले दो महीने में पन्ना टाइगर रिज़र्व में दो बाघों की मौत हो चुकी है. अब यहां बाघों की जनसंख्या 78 रह गई है.