हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में सोमवार को परवाणु के पास टिंबर ट्रैल में तकनीकी खामी की वजह से एक ट्रॉली कम से कम छह घंटे तक हवा में अटकी रही. इस ट्रॉली में एक परिवार के 10 सदस्यों सहित कुल 11 लोग फंस गए थे. हालांकि, बाद में पुलिस और दमकल विभाग की टीम की मदद से सभी लोगों को बचाया गया है. मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई है. वहीं, घटना से 30 साल पहले की यादें ताजा हो गई.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के परवाणु में टिंबर ट्रैल नाम की जगह पर एक केबल कार है. यहां पर हाईवे के साथ यह होटल है, जो पहाड़ी पर भी बना हुआ है. यहां पर केबल कार के जरिये पहाड़ी पर आवाजाही होती है. साथ ही पहाड़ी के साथ बने गांव के लोग भी इस केबल कार का प्रयोग करते हैं. इस रोपवे में दो केबल कार हैं. 14 अक्तूबर 1992 को यहां पर कुछ ऐसी ही घटना सामने आई थी. बता दें कि साल 1988 में परवाणू टिंबर ट्रेल की स्थापना की गई थी.
जानकारी के अनुसार, उस दिन केबल कार में 11 लोग सवार थे. इनमें 10 टूरिस्ट और एक ऑपरेटर मौजूद था. अचानक बीच में झटका लगने से केबल की रस्सी टूट गई थी और यह दूसरी रस्सी में जा फंसी थी. इस दौरान ऑपरेटर ने ट्राली से छलांग लगा दी और उसकी मौत हो गई थी. बाद में सेना की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था और सभी 10 टूरिस्ट को बचाया गया था. नाहन की पैराशूट रेजीमेंट और भारतीय वायुसेना ने हैलीकॉप्टर के माध्यम से रेस्क्यू ऑपरेशन चला था. टिंबर ट्रेल रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरो मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो थे. इस उपलब्धि के लिए मेजर को कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया था.
हाल ही में झारखंड में केबल कार हादसा हुआ था. इसके बाद केंद्र सरकार ने एडवायजरी जारी की थी. बता दें कि हिमाचल में सोलन के टिंबर ट्रैल, मनाली के सोलंग वैली, धर्मशाला, शिमला के जाखू में रोपवे हैं. यहां पर टूरिस्ट की बड़ी संख्या में आवाजाही होती है. फिलहाल, सीएम जयराम ठाकुर ने भी टिंबर ट्रैल का दौरा किया है और घटना के जांच के आदेश दिए हैं.