Narak Chaturdashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, काली चौदस समेत कई नामों से जाना जाता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि नरक चतुर्दशी पर यमराज की विशेष उपासना की जाती है. हिंदू धर्म में नरक से बचने के लिए यम दीपक का खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन यम की विशेष उपासना से जीवात्माओं की सद्गति होती हैं. चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी पर यम दीपक से जुड़े मान्यता और कथा के बारे में.
नरक चतुर्दशी का महत्व
पंडित जी के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर शाम की पूजा का विधान है. नरक चतुर्दशी पर शाम को यम दीपक जलाने से नरक से मुक्ति प्राप्त होती है. कहा जाता है कि इस दिन पानी या नाली के पास दीपक जलाने से व्यक्ति को नरक नहीं भोगना पड़ता है.
इस दिन सच्ची श्रद्धा से यमराज की पूजा करने से नरक के मुक्ति पा सकते हैं. नरक चतुर्दशी पर शाम के समय घरों में दीये जलाए जाते हैं और यमराज की पूजा की जाती है. साथ में यमराज से असमय मृत्यु से बचने के लिए और परिवार की रक्षा के लिए कामना की जाती है. नरक चतुर्दशी पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है.
नरक चतुर्दशी की कथा
पौराणिक के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था. नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था. तब भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षक नरकासुर का वध करके सभी कन्याओं को मुक्त कराया था.
इसके बाद सभी कन्याएं विलाप करने लगीं कि अब धरती पर उनको कोई नहीं अपनाएगा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन 16 हजार कन्याओं को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. तब से नरक चतुर्दशी पर यमराज के साथ श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है.