नई दिल्ली. त्योहारों का सीजन चल रहा है और इस सीजन में भारत के लोग जमकर खरीदारी करते हैं. वे अपनी खरीदारी की प्लानिंग इसी समय के लिए बचा कर रखते हैं. कई लोग इसी सीजन में वाहन व घर भी खरीदते हैं. अब जरूरी तो नहीं कि सबके पास खरीदारी के लिए पूरी रकम मौजदू हो. तो ऐसे में वे लोन का सहारा लेते हैं जो आजकल के समय में बहुत सामान्य चलन हो गया है. लोग अमूमन बड़ा सामान लोन लेकर ही खरीदते हैं.
यहां एक और असमंजस की स्थिति पैदा होती है कि कौन सा लोन लिया जाए. दरअसल, कई लोग कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन ही ले लेते हैं. इसका एक प्रमुख कारण होता है कि पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन है और इस पर कुछ कोलेट्रल या गिरवी नहीं रखना होता है. वहीं, ऑटो लोन में आपका वाहन ही गिरवी हो जाता है. आइए जानते हैं कि इनमें से कौन सा लोन कार लेने के लिए बेहतर है.
क्या होता है दोनो में अंतर
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि कार लोन एक सिक्योर्ड लोन है जबकि पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड. कार लोन में कार गिरवी होती है और पर्सनल लोन देते समय संस्थान लोन लेने वाली क्रेडिट हिस्ट्री और आय के स्रोत देखता है. कार लोन में इन सब बातों पर कम गौर किया जाता है.
सस्ता होता है कार लोन
चूंकि कार लोन लेते समय आपका वाहन गिरवी होता है तो बैंक के पास लोन की भरपाई के लिए गारंटी होती है. इसलिए वह लोन को सस्ते ब्याज दर पर देता है. वहीं पर्सनल लोन में कुछ भी गिरवी नहीं होता है. यह बैंक के लिए काफी रिस्की लोन होता है इसलिए इसकी ब्याज दर बहुत अधिक होती है. आप अगर कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन ले रहे हैं तो देख लें कि कार व पर्सनल लोन की ब्याज दर में बहुत अंतर न हो वरना आपकी कार आपको बहुत महंगी पड़ सकती है.
पर्सनल लोन और कार लोन की रकम
कार लोन में आपको कार की कीमत का 80-90 फीसदी हिस्सा लोन के रूप में मिल जाता है क्योंकि बैंक के पास कोलेट्रेल होता है. जबकि पर्सनल लोन में कोई गिरवी चीज नहीं होती तो बैंक भी अपने मनमाने तरीके से आपकी आय देखकर लोन देता है. इसकी रकम भी कार लोन से काफी कम हो सकती है. संभव है कि इससे आपकी लोन की जरूरत भी न पूरी हो. अब आप इन तर्कों के आधार पर फैसला कर सकते हैं कि कार लेने के लिए कौन सा लोन आपके लिए बेहतर है.