मच्छरों को भगाने के चक्कर में शरीर में बन सकता है जहर, इन बातों का रखें ध्यान

मच्छर भगाने वाली अगरबत्तियों का धुआं फेफड़ों को पहुंचा सकता है नुक्सान

गर्मियां के शुरु होते ही मच्छरों का आक्रमण शुरु हो जाता है। मच्छर (Mosquito) घर के कोने-कोने में फैल जाते हैं और लोगों पर आक्रमण करना शुरु कर देते हैं। मच्छरों के काटने से कई तरह की बीमारियां होती हैं, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया आदि। ये बीमारियां इतनी घातक होती हैं कि इन बिमारियों के कारण कई लोगों की जान भी चली जाती है। हालांकि, मच्छरों को भगाने के लिए मशीन, अगरबत्ती व इलेक्ट्रिक रीफिल मशीन का इस्तेमाल भी किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसका हमारे शरीर पर कितना बुरा असर पड़ता है।

डेंगू और जीका जैसी बीमारी को खत्म करेंगे मच्छर, ये होगा असर

वैज्ञानिकों के अनुसार, मच्छर भगाने वाली मशीनों और अगरबत्तियों का धुआं फेफड़ों को नुक्सान पंहुचा सकता है और इससे कैंसर भी हो सकता है। मच्छरों को भगाने वाली क्वॅाइल के कई दुष्प्रभाव होते हैं। आज हम आपको क्वॉइल से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताएंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, एक क्वॉइल जलाना 100 सिगरेट पीने के बराबर होता है। जिसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है।

रिसर्च में पाया गया कि मच्छरों को भगाने वाली क्वॅाइल जलाने से कैंसर पैदा करने वाले कई गुण उत्पन्न होते हैं। रिसर्च में बताया गया कि क्वॉइल के धुंए का सीधा कनेक्शन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से होता है। इन सब के अनुसार क्वॅाइल का धर में जलाना 100 सिगरेट के समान है।

नो स्मोक क्वॅाइल
बता दें कि आजकल बाजार में नो स्मोक क्वॅाइल (No Smoke Coil) भी मिल जाती है। इस क्वॉइल का धुआं नहीं होता है। इस क्वॉइल में एक ऐसा पदार्थ होता है, जिससे शरीर को काफी नुकसान होता है। दरअसल, नो स्मोक क्वॉइल में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत ज्यादा होता है, जिस कारण फेफड़ों को ज्यादा नुकसान हो सकता है।