हिमाचल में लंपी से बचाव के लिए 1.21 लाख गायों को लगाई वैक्सीन

पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि पशुपालन विभाग स्थिति पर निरंतर नजर बनाए हुए है और साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों के आसपास पांच किमी के दायरे में रोग प्रतिरोधी टीकाकरण किया जा रहा हैं।

राज्य में गायों को लंपी वायरस से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़े स्तर पर अभियान छेड़ा है। इसके तहत पशुधन को बचाने के लिए हरसंभव प्रयत्न किए जा रहे हैं। पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि पशुपालन विभाग स्थिति पर निरंतर नजर बनाए हुए है और साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों के आसपास पांच किमी के दायरे में रोग प्रतिरोधी टीकाकरण किया जा रहा हैं। अब तक 1,21,080 गायों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, जो निरंतर जारी है। प्रदेश के सभी जिलों से इस रोग के बारे में प्रतिदिन सूचना एकत्रित कर केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। विभाग बीमारी से संबंधित टीकाकरण, पशु की मृत्यु तथा संक्रमण दर इत्यादि का विवरण विभागीय वेबसाइट पर प्रतिदिन अपडेट कर रहा है।

कहा कि सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं और वैक्सीन खरीदने के लिए जिला स्तर पर 12 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि जारी कर दी गई है। विभागीय बजट से भी दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। मंत्री ने कहा कि समस्त जिला उप-निदेशकों को संबंधित जिला के उपायुक्त से मिलकर पीड़ित गोवंश के उपचार एवं बीमारी की रोकथाम के बारे में प्रचार-प्रसार के लिए वाहन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा विभागीय अधिकारियों को स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर विभिन्न स्थानों पर मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाइयों को छिड़काव करवाने को भी कहा गया है।  कहा कि अब तक प्रदेश के नौ जिलों में कुल 44,022 पशु इस रोग से ग्रस्त पाए गए हैं। इनमें से 1,623 गोवंश की मृत्यु दर्ज की गई है। अब तक 14,820 ठीक हो चुके है। प्रदेश सरकार टीकाकरण एवं बीमार पशु का उपचार निशुल्क कर रही है।
क्या है लंपी रोग
लंपी चमड़ी रोग अत्यंत संक्रामक रोग है। यह विषाणु जनित रोग संक्रमित पशु के संपर्क में आने व मक्खी अथवा मच्छर के संक्रमित पशु को काटने के बाद स्वस्थ पशु को काटने से फैलता है। पशु में बीमारी के लक्षण देखते ही पशु पालक नजदीकी पशु चिकित्सा संस्थान से संपर्क करें तथा अपने स्वस्थ पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए बीमार पशुओं से अलग कर दें।