मध्यप्रदेश में दिवाली की अपनी खास परंपराएं हैं। इनमें खास है इंदौर जिले के गौतमपुरा में होने वाला हिंगोट युद्ध। इसमें कलंगी और तुर्रा नाम की दो सेनाओं के बीच आमने-सामने का युद्ध होता है। दोनों ही एक दूसरे पर हिंगोट बरसाते हैं, जो बारूद से भरा एक खास तरह का फल होता है। जलाकर जब उसे सामने वाली सेना पर फेंका जाता है तो ऐसा लगता है कि आग बरस रही है। लाखों लोग इस हिंगोट युद्ध को देखने गौतमपुरा पहुंचते हैं।
ईश्वर की आराधना के बाद शुरू होता है युद्ध
गौतमपुरा के हिंगोट युद्ध को लेकर दोनों ही सेनाओं के योद्धाओं में उत्साह है। भगवान देवनारायण मंदिर में दोनों सेनाओं के योद्धा पहुंचते हैं। आशीर्वाद लेते हैं। इसके बाद ही हिंगोट युद्ध शुरू होता है। कोविड काल में दो साल से हिंगोट युद्ध नहीं हुआ था। इस बार इसे लेकर खासा उत्साह नजर आ रहा है।
गुदा निकालकर भरा जाता है बारूद
हिंगोट एक स्थानीय फल है, जो नींबू के आकार का होता है। बाहरी हिस्सा सख्त और अंदर गुदा भरा होता है। गुदा निकालकर बारूद भरा जाता है। जलाने पर हिंगोट किसी तीर की भांति सामने वाली सेना पर जाकर गिरता है। हिंगोट बनाने की प्रक्रिया युद्ध से काफी पहले शुरू हो जाती है।
सूर्य ग्रहण की वजह से एक दिन टला
आम तौर पर हिंगोट युद्ध दीपावली के दूसरे दिन होता है। सूर्य ग्रहण की वजह से 25 अक्टूबर को इसका आयोजन नहीं हो सका और 26 अक्टूबर को आयोजित हो रहा है। युद्ध को लेकर प्रशासन ने अनुमति दे दी है। अधिकारियों ने हिंगोट युद्ध के आयोजन स्थल का जायजा लिया। हादसों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा विभाग को भी पर्याप्त इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं।