आज तो देखने वाले देखते रह जाएंगे लेकिन दशकों पहले कैसे दिखता था उज्जैन का महाकाल मंदिर, देखिए

Mahakal Mandir Ujjain Old Pic : कभी मुस्लिम आक्रांताओं के शिकार बने महाकाल मंदिर का यूं तो कायाकल्प होता रहा, लेकिन अब इसकी भव्यता किसी को भी चकाचौंध करने में सक्षम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल मंदिर गलियारे का उद्घाटन किया तो कुछ दशक पहले के मंदिर की तस्वीर भी शेयर होने लगी।

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी से मशहूर उज्जैन इन दिनों चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘महाकाल लोक’ देश को समर्पित कर दिया है। करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से ‘श्री महाकाल लोक’ क्षेत्र का विकास किया गया है। अब महाकाल मंदिर ऐसा हो गया कि देखने वाले देखते रह जाएं। इस मंदिर ने वो दिन भी देखे थे जब उस पर आततायी मुस्लिम आक्रांताओं के हमले हुए थे। 11वीं सदी में गजनी से जबकि 13वीं सदी में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश ने महाकाल मंदिर को ध्वस्त की थी, लेकिन हर बार हिंदू राजाओं ने महाकाल मंदिर को दोबारा खड़ा कर दिया। अतीत की तस्वीरें शेयर करने वाले ट्विटर हैंडल @indiahistorypic ने 1980 में महाकाल मंदिर की तस्वीर साझा की है। इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि तब का महाकाल मंदिर एक सामान्य सा मंदिर ही दिखता था। लेकिन अब इसका परिसर 47 हेक्टेयर में फैला काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से 9 गुना बड़ा है।

 


भव्य, दिव्य महाकाल मंदिर गलियारा

महाकाल मंदिर प्रॉजेक्ट के प्रथम चरण में 350 करोड़ रुपए की लागत से भगवान श्री महाकालेश्वर के आंगन में छोटे और बड़े रूद्रसागर, हरसिद्ध मंदिर, चार धाम मंदिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। इसमें महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डैक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स और गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य शामिल है।


महाकाल कॉरिडोर की खासियतें जान लें

महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिए उपयुक्त 200 मीटर लंबा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊंची एवं 500 मीटर लंबी म्युरल वॉल बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित, निर्मित हो चुके हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। इन स्तंभों में भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप को दर्शाया गया है। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव को दर्शाने वाली धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं। पथ के साथ दीवार चित्र शिव पुराण की कहानियों पर आधारित हैं। लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है।

Mahakal Lok: गुलाबी पत्थरों पर नक्काशी, भव्य लुक… महाकाल लोक की हर मूर्तियां कह रहीं शिव पुराण की कहानी
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    उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यह शहर हर 12 साल में सिंहस्थ की मेजबानी करता है। महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के अवसर पर महाकाल मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके बाद मंदिर और आसपास के क्षेत्र की व्यापक विकास योजना की आवश्यकता हमेशा महसूस की गई। शहर के विशेषज्ञों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद, इसके बाद सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढांचे के आकर्षक निर्माण पर कार्य किया गया है। 2017 में महाकाल लोक की परिकल्पना की गई थी।

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    यह भारत में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत संभवत: सबसे बड़ी सार्वजनिक खुली जगह परियोजना है। 316.18 रुपये की लागत से परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है। शहर के स्तर से मंदिर में प्रवेश तक संचलन योजना, मुख्य शहर में यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी। विस्तारित मंदिर परिसर में वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है और सभी प्रवेश स्थानों पर अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

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    उज्जैन आने पर आप जैसे ही हरि फाटक पुल से नीचे उतरते हैं तो नंदी द्वार पहला प्रवेश गेट है। इसके गलियारे में ऊंची मूर्तियां आपका ध्यान खींचती हैं। इनमें भगवान शिव की उत्कृष्ट नक्काशी है। आगे बढ़ने पर भगवान गणेश की बड़ी तांबे की मूर्ति है, जो दूर से चमकती है। इसके साथ कॉरिडोर में बने खंभों पर भी उत्कृष्ट नक्काशी का नमूना है। इसके निर्माण में कौशल और श्रम को देखकर आप अचंभित रह जाएंगे। वहीं, महाकाल लोक में एक गोलाकार नीला तालाब दिखता है, जिसके केंद्र में एक भगवान शिव की भव्य मूर्ति है। इसी तरह से मुख्य प्रवेश द्वार की ओर जाने वाले महाकाल लोक की यात्रा शुरू होती है।

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    वहीं, महाकाल लोक में पौराणिक कथाओं पर आधारित मूर्तियां हैं। इसमें शिव पुराण, त्रिपुरासुर वध, शिव पुराण और शिव तांडव स्वरूप की विभिन्न कहानियों को दर्शाने वाली मूर्तियां, भित्ति चित्र और शास्त्र बाईं और दाईं ओर फैले हुए हैं।

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    इसके साथ ही मूर्तियों पर क्यूआर कोड की सुविधा होगी। इसे स्कैन करते ही आपको उसके ऑडियो गाइड के माध्यम से जानकारी मिल जाएगी। इसके साथ ही महाकाल लोक के मिड-वे में रेस्ट रूम, शॉपिंग सेंटर और भोजनालय क्षेत्र की योजना बनाई गई है। गलियारा एक ऊंचे गेट पर उतरता है, जो एक बड़े हॉल में जाता है। दाईं ओर लॉकर और शू स्टैंड जैसी सुविधाएं हैं। ठीक बीच में, पुलिस स्क्रीनिंग उपकरण लगाए गए हैं, जिससे हर यात्री को गुजरना होगा।

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    वहीं, महाकाल लोक में आने वाले भक्तों की निगरानी के लिए चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगाए गए हैं। पूरा कॉरिडोर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। बड़ी स्क्रीन पर प्रत्येक कैमरे की छवियों को दिखाते हुए एक कमांड सेंटर बनाया गया है। स्मार्ट सीटी के सीईओ आशीष पाठक ने कहा कि हमारे पास सुरक्षा की सर्वोपरि व्यवस्था है।

अभी तो दूसरा चरण बाकी है
दूसरे चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में पूर्ण होंगे। इस चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जाएगा। इसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हेरिटेज, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश और इस परिसर का महाकाल मंदिर परिसर से एकीकरण किया जाएगा। प्रथम चरण के कार्यों को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पण करने के बाद इसे आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। प्रथम चरण के कार्यों के खुलते ही हरि फाटक ब्रिज की चौथी भुजा से आकर श्रद्धालु जैसे ही त्रिवेणी संग्रहालय पहुंचेंगे, उन्हें बाबा श्री महाकाल के अलौकिक दर्शन होंगे। तीर्थ-यात्रियों को विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्राप्त होंगी। मंदिर आने वाले तीर्थ-यात्रियों के अनुभव स्मरणीय रहेंगे।