कौड़ियों के भाव बिक रहा टमाटर, मंडियों में चार रुपये किलो कीमत, किसान हताश

Kullu : टमाटर की गिरती कीमत के कारण किसानों का खेती पर किया गया खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है। टमाटर को उगाने में खासी मेहनत लगती है और खर्च करना पड़ता है। कम दाम मिलने से टमाटर की खेती करना घाटे का सौदा साबित हो रही है।

Tomato

सेब के बाद टमाटर के दाम गिरने से किसान निराश हो गए हैं। सब्जी मंडियों में टमाटर कौडियों के भाव बिक रहा है। किसानों का खेती पर किया गया खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है। टमाटर को उगाने में खासी मेहनत और खर्च करना पड़ता है। कम दाम मिलने से टमाटर की खेती करना घाटे का सौदा साबित हो रही है।

बताया जा रहा है कि बंगलूरू और महाराष्ट्र का टमाटर भी देश की मंडियों में पहुंच रहा है। इस कारण यहां टमाटर के दाम धड़ाम हो गए हैं। जिले में 1,500 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर का उत्पादन हो रहा है। हर साल करोड़ों का कारोबार होता है, लेकिन इस बार दाम नहीं मिलने के कारण किसानों के चेहरे उतर गए हैं। एक सप्ताह पहले जिले की मंडियों में 15 रुपये किलो टमाटर बिक रहा था।
बुधवार को टमाटर के दाम चार से दस रुपये किलो मिले हैं। एपीएमसी के सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि सब्जी मंडी में चार से 10 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से टमाटर बिका है। दक्षिण भारत का टमाटर देश की विभिन्न मंडियों में आने से कीमतों में गिरावट आ गई।

किसान देव राज नेगी, विनोद ठाकुर ,राम सिंह, हुकम चंद, और बाला राम ने बताया कि दाम कम मिलने से खेती का खर्च पूरा नहीं हो रहा है। एक बीघा भूमि पर दवाई, खाद, बीज, निराई और तार लगाने का खर्च करीब 20,000 रुपये तक पहुंच जाता है।

अगर टमाटर 20 रुपये किलो से कम कीमत पर बिकता है तो खेती का खर्च भी पूरा नहीं हो पाएगा। सरकार को टमाटर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना चाहिए। इससे मंडियों में दाम स्थिर रहेंगे। दवाइयों और खाद पर भी सब्सिडी दी जानी चाहिए।