उम्मीद की मशाल: बिना किसी मदद के 14 अनाथ बच्चों को ‘मां’ बन पाल रहीं सुदर्शना

वर्ष 1977 में सुदर्शना ठाकुर ने जरूरतमंद बच्चों को देखा। तब वे काफी छोटे थे। इनमें से किसी की मां नहीं थी तो किसी का पिता नहीं था। इन बच्चों को सुदर्शना ने अपने परिवार में शामिल किया।

बच्चों के साथ राधा एनजीओ की सुदर्शना ठाकुर।

बच्चों के साथ राधा एनजीओ की सुदर्शना ठाकुर। –

मनाली में राधा एनजीओ की संस्थापक सुदर्शना ठाकुर 14 गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। इन बच्चों को सुदर्शना ठाकुर न केवल मां बनकर पाल रही हैं। बल्कि उन्हें पढ़ा-लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा होने के काबिल भी बना रही हैं। इसके लिए सुदर्शना को प्रशासन और सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है। अपनी मेहनत के दम पर वे बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। सुदर्शना ठाकुर के राधा एनजीओ के पास 14 बच्चे हैं और एक बुजुर्ग हैं।

वर्ष 1977 में सुदर्शना ठाकुर ने जरूरतमंद बच्चों को देखा। तब वे काफी छोटे थे। इनमें से किसी की मां नहीं थी तो किसी का पिता नहीं था। इन बच्चों को सुदर्शना ने अपने परिवार में शामिल किया। वे उन्हें पालने लगीं। वर्ष 2004 में संस्था का पंजीकरण भी किया। इन बच्चों को बड़ा करने में सुदर्शना को कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तीन लड़कियां इग्नू से बीए फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही हैं।

खास बात यह है कि मनाली के साथ लगते खखनाल में चल रहे राधा एनजीओ में यह सभी लोग सुदर्शना ठाकुर के साथ एक परिवार की तरह रहते हैं। पिछले 25 सालों से सुदर्शना इस नेक काम को कर रही हैं। राधा एनजीओ बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें शौक के आधार पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी दे रही हैं।

बच्चे मंदिरों के नमूने भी तैयार करते हैं। इनकी प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। सुदर्शना ठाकुर ने कहा कि शिक्षित, स्वच्छ और स्वस्थ सक्षम भारत की उनकी परिकल्पना है। यहां पर बच्चों को कम साधन में खुश रहना सिखाया जाता है।