बाघ जंगल की शान माने जाते हैं, भारतीय टाइगर रिजर्व में अब गिनती के बाघ बचे हैं. ऐसे में इनकी मृत्यु दर का बढ़ना बहुत ही चिंताजनक है. इस साल की शुरुआत बाघों के लिए अच्छी नहीं रही है. साल की शुरुआत में ही बाघों की बड़ी संख्या में हुई मृत्यु ने चिंताएं बढ़ा दी हैं.
साल की शुरुआत में मर गए 24 बाघ
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सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 1 जनवरी से 8 फरवरी के बीच 24 बाघों की मृत्यु हुई है. बताया जा रहा है कि पिछले तीन सालों में इतने कम समय में मरने वाले बाघों का ये सबसे बड़ा आकड़ा है. बाघों के संरक्षण के लिए शीर्ष निकाय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से मिले डेटा के अनुसार पिछले साल इतने समय में 16 बाघों की मौत हुई थी, वहीं 2021 में 20 बाघों की मृत्यु हुई थी. इस साल सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में मरे हैं. यहां मरने वाले बाघों की संख्या 9 है. इसी तरह महाराष्ट्र में 6, राजस्थान में 3, कर्नाटक में 2, उत्तराखंड में 2 और असम व केरल में एक-एक बाघ की मौत हुई है.
जनवरी महीने में मरते हैं सबसे ज्यादा बाघ
इन आंकड़ों से ये बात सामने आई है कि हर साल जनवरी का महीना इन बाघों के लिए काल बन रहा है. पिछले एक दशक से बाघों की सबसे ज्यादा मौतें इसी महीने में हुई हैं. एनटीसीए के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012-2022 के बीच जनवरी में 128 बाघों की मौत हुई. बात करें अन्य महीनों की तो इन 10 सालों में जनवरी के बाद सबसे ज्यादा बाघ मार्च में मरे हैं. इस महीने में मरने वाले बाघों की संख्या 123. इसी तरह इन वर्षों में मई के महीने में 113 बाघ मारे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से अधिकतर बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों के चलते हुई है. इसके अलावा इनके मौत के कारण अपने क्षेत्र को लेकर बाघों के बीच हुई लड़ाई और इनकी बढ़ रही उम्र भी है. इसके साथ ही अधिकारियों का कहना है कि वे अवैध शिकार को लेकर भी डेटा की जांच कर रहे हैं. एनटीसीए के एक अधिकारी ने कहा, ‘देशभर में 3,000 से अधिक बाघ हैं, जिसमें कुछ की मौत सामान्य है, लेकिन कम समय में मौतों की ज्यादा संख्या बड़ी बात और इसलिए प्रोटोकॉल के अनुसार जांच की जा रही है.’
53 टाइगर रिजर्व में बचे हैं मात्र 2967 बाघ
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अभी हाल में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 53 टाइगर रिजर्व हैं, जहां बाघों की संख्या 2,967 है. 2017 में एडवोकेट अनुपम त्रिपाठी द्वारा शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें देश भर में तेजी से घट रही बाघों की संख्या को चिंताजनक बताते हुए उन्हें बचाने की मांग की गई थी. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच को बताया था कि बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए काफी काम किया गया है. 2018 की जनगणना के अनुसार, देश में 53 टाइगर रिजर्व हैं, जिसमें 2,967 बाघ हैं. यह संख्या विश्व की 70 प्रतिशत है. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाघों की संख्या बढ़ रही है.