दर्दनाक हदसा पटाखा फैक्टरी विस्फोट : आंखों में आंसू लिए मां को कान की बाली से और बहन को कंगन से पहचाना

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में हरोली उपमंडल के बाथू में अवैध पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में पत्नी और बेटी को खोने के बाद अनवर हुसैन बदहवास हैं। घटनास्थल का मंजर और शवों को बुरी तरह से जला हुआ देखकर हुसैन अपनों की शिनाख्त करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। आखिर आंखों में आंसू लिए हुसैन के बेटे अविराल ने  मां अख्तरी (45) को कान की बाली और बहन अनवता (19) को हाथ में पहने कंगन से पहचाना। 

अख्तरी पांच महीने से जबकि अनवता दो माह से इस फैक्टरी में काम कर रही थी। पिता-पुत्र संतोषगढ़ में सब्जी बेचने का काम करते हैं। दोनों यह तो जानते थे कि अख्तरी और अनवता काम करती हैं पर कहां – इसकी कोई खबर नहीं थी। हुसैन के मुताबिक उन्होंने कई बार कहा था कि घर का खर्च वह चला लेंगे। दोनों को काम करने की जरूरत नहीं। लेकिन मां-बेटी यह कहकर बात को टाल देतीं कि काम अच्छा है।    

उल्लेखनीय है कि पटाखा फैक्टरी में अधिकतर प्रवासी महिलाएं काम कर रही थीं। इनमें से कई परिजन ऐसे हैं, जिन्हें यह भी मालूम नहीं था कि उनके घर की महिलाएं कहां पर नौकरी कर रही हैं।

पहले भी हो चुके हैं धमाके
2004 : शराब फैक्टरी के बायोगैस प्लांट में जोरदार विस्फोट हुआ था, जिसमें तीन मजदूरों की मौत हो गई थी
2006 : मैहतपुर के उद्योग में धमाका हुआ, जिसमें दो श्रमिक झुलस गए थे 
2007 : शार्ट सर्किट से मैहतपुर के एक उद्योग में विस्फोट हुआ, इसमें उद्योग का काफी सामान राख हो गया था 
2008 : मैहतपुर के ही एक अन्य उद्योग में जोरदार धमाका हुआ था। इस घटना में उद्योग की मशीनरी के साथ छत तक उड़ गई थी

धर्मकांटा से कब पटाखा फैक्टरी बन गई, किसी को नहीं पता
बाथू में पटाखा फैक्टरी कब बन गई, यह किसी को पता नहीं है। इस प्लांट पर पहले धर्मकांटे बनाए जाते थे। शातिर संचालकों ने फैक्टरी के बाहर कोई बोर्ड भी नहीं लगा रखा था। रात के समय ही फैक्टरी से सामान सप्लाई किया करते थे ताकि किसी को भनक न लगे। पहले यहां पर मैसेज नोवा टेक नामक उद्योग चल रहा था। जनवरी 2021 को यह उद्योग बंद हो गया था। बंद हुए उद्योग का बिजली कनेक्शन पांच जनवरी 2021 को काट दिया गया था। अभी तक यही माना जा रहा है कि करीब एक साल से यह अवैध फैक्टरी चल रही थी।

इस फैक्टरी में करीब 15 दिन से काम करने वाले व पूरी घटना के प्रत्यक्षदर्शी समीर का कहना है कि फैक्टरी में पानी-बिजली का कनेक्शन नहीं था। जनरेटर से ही काम चलता था। पानी के लिए टैंकर था। समीर का कहना है कि वह इस फैक्टरी के साथ बने कमरे में रहता था। विद्युत सब डिवीजन टाहलीवाल के सहायक अभियंता सुरजीत सिंह ने बताया कि इसी जमीन पर पहले चल रहे उद्योग का कनेक्शन जनवरी 2021 में काट दिया गया था।