नूरपुर में जनजातीय भबन बना फुटबॉल

नूरपुर में जनजातीय भबन बना फुटबॉल

जगदीश चौहान ने कहा कि गत दिनों भड़वार में गद्दी सम्मेलन के बहाने कुछ गद्दी नेता भी वहां आकर भाजपा के गद्दी हितैषी होने का राग अलापत्ते हुए बड़े-बड़े लच्छेदार भाषण देकर चले गए लेकिन उन्हें गद्दी नूरपुर क्षेत्र के गद्दी समुदाय की तकलीफों का पता ही नहीं है इस संदर्भ में उनसे तमाम गद्दी समुदाय इन नेताओं से यह जवाब पूछना चाहता है कि जब वर्ष 2017 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी व नूरपुर के विधायक अजय महाजन के अथक प्रयासों द्वारा जनजातीय भवन का शिलान्यास जसूर में किया गया था इसकी सारी औपचारिकताएं भी पूरी करके ढाई करोड का बजट स्वीकृत करके 5 कनाल भूमि उक्त भवन के नाम करके टेंडर भी अवार्ड करवा दिया गया था जहां सारी मार्केट भी उपलब्ध थी रेल मार्ग व हवाई अड्डा नजदीक था हर तरफ आने जाने की सुविधा उपलब्ध थी और य़ह एक केन्द्रीय स्थल था जिससे हिमाचल प्रदेश के तमाम जनजातीय समुदाय को लाभ मिलना था तो प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर पहले चार साल इस भवन का कार्य लटका दिया गया और अब ऐसे स्थान पर बनाने की क़वायद की जा रही है जोकि किसी भी तरीके से उपयुक्त नहीं है अब तीसरी बार उसी भवन का गुपचुप तरीके से बिना शिलान्यास के वीरान जगह पर गहीं लगोड़ में केवल एक पंचायत को फायदा देकर वहां काम शुरु करा देना हिमाचल प्रदेश के तमाम जनजातीय समुदाय की भावनाओं को दरकिनार करके उनके हितों पर चोट पहुंचाकर समुदाय को नजरअंदाज करने पर सरकार की क्या मंशा है l

चौहान ने कहा कि जो गद्दी नेता लच्छेदार भाषण देकर भाजपा को गद्दी हितैषी होने का दावा करके चले गए उन्हें यह बातें और गद्दीयों के हित क्यों नजर नहीं आए और इस पर क्यों मौन धारण कर रखा l चौहान ने दो टूक कहा कि स्थानीय वन मंत्री कुछ षड्यंत्रकारी लोगों के चुंगल में न आकर समय रहते आचार संहिता लगने से पहले इस भवन का कार्य पहले चयनित स्थान जसूर में शुरू करें अन्यथा समुदाय वोट की चोट से सबक सिखाएगा l चौहान ने कहा कि पहले हिमाचल प्रदेश में केवल किन्नौर, लाहौल स्पीति, पांगी व भरमौर को जनजातीय का दर्जा दिया गया था बाद में कांगड़ा के गद्दी समुदाय व अब हाटी समुदायों को भी जनजातीय का दर्जा मिला जिसका हम स्वागत करते हैं मगर बेहतर होता कि सरकार अन्य क्षेत्रों के साथ एसटी का जो 7.50 प्रतिशत कोटा है उसे भी बढ़ा कर 15 प्रतिशत कर देते मगर उस कोटे को नहीं बढ़ाया गया उसे वहीं 7.50 प्रतिशत तक सीमित रखा गया जिससे समुदाय को विशेष फायदा नहीं है इसलिए समुदाय सरकार से आग्रह करता है की समुदाय के इस कोटे को बढ़ाकर जनजातीय लोगों के साथ उचित न्याय करें अन्यथा सरकार द्वारा ऐसे रेवड़ियां बांट कर चुनावी समय में अपना स्वार्थ साध कर समुदाय के हितों के साथ घोर अन्याय है