2022-10-23
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पार्टी ने गुजरात सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं (केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट, दमन गंगा-पिंजल प्रोजेक्ट, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पनेर और पनेर-कावेरी प्रोजेक्ट) में आदिवासी समुदाय के लोगों की जमीन छिनने और उन्हें पर्याप्त मुआवजा न मिलने का मुद्दा उठाया है। अनंत पटेल के नेतृत्व में पार्टी ने कई प्रदर्शन किए हैं जिनमें भारी संख्या में लोगों की भागीदारी यह तय करने के लिए काफी है कि इस चुनाव में उनका झुकाव किस ओर हो सकता है। अनंत पटेल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के गृह क्षेत्र में हुए हमले ने इस मामले को और ज्यादा भड़काने का काम किया है। कांग्रेस को इसका लाभ मिल सकता है।
भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों की पूरी टीम आदिवासियों के क्षेत्रों में जाकर उन्हें यह याद दिलाने की कोशिश कर रही है कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकार भाजपा ने उन्हें ऐतिहासिक गौरव दिलाने का काम किया है। पार्टी लगातार आदिवासियों के क्षेत्रों में आवास योजनायें चला रही है, आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार हासिल करने में मदद की गई है तो आदिवासी युवाओं को स्थानीय रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश कर उनका जीवन स्तर सुधारने की कोशिश की गई है। पार्टी को उम्मीद है कि इन कल्याणकारी योजनाओं और आदिवासी गौरव के नाम पर वह आदिवासी मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहेगी।
लेकिन गुजरात की जमीनी सच्चाई यह है कि आदिवासी युवाओं में बेरोजगारी अभी भी बहुत ज्यादा है। चूंकि कांग्रेस आदिवासियों को ज्यादा मुआवजा देने और युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा जोरशोर से उठा रही है, उसे इसका लाभ मिल सकता है। भाजपा के पास स्थानीय मजबूत आदिवासी नेतृत्व के न होने का उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि आदिवासी समुदाय अपने हितों की बात अपने समुदाय के नेता की भाषा में ज्यादा अच्छी तरह समझता है।
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