प्याज़ लहुसन यूं तो पौधों और खेतों में ही उगता है लेकिन बहुत से लोग इसे शाकाहारी नहीं मानते. खाने वाले तो खाते हैं लेकिन धार्मिक कार्यों में भी इसका इस्तेमाल नहीं होता. वजह तो इस विषय का ज्ञान रखने वाले ही बता सकते हैं. हमारे देश में कुछ-कुछ घरों पर तो प्याज़ लहसुन के बरतन अलग होते हैं, प्याज़-लहसुन वाली सब्ज़ी भी बनने पर पूरे रसोई को स्वच्छ किया जाता है. ख़ैर, जैसे जिसकी खाने की प्रवृत्ति, जैसी जिसकी आस्था.
भारत का एक गांव ऐसा भी
प्याज़ लहसुन खाने वाले यही कहेंगे कि ये खाने का स्वाद बढ़ाता है. और सच में बढ़ाता है. सात्विक खाने का कोई मैच नहीं लेकिन प्याज़ लहसुन वाले खाने का भी अपना अलग स्वाद है. भारत में कई अनोखे गावों के बारे में हमने देखा, सुना है. एक गांव ऐसा है जहां का हर बच्चा संगीत सीखता है, वहीं एक गांव ऐसा है जहां हर घर में टीचर है. IITians वाले गांव के बारे में भी हमने पढ़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव है जहां प्याज़ लहसुन पर पाबंदी है?
बिहार के जहानाबाद में स्थित है
बिहार के जहानाबाद ज़िले के चिरी पंचायत में एक ऐसा गांव है जहां एक बेहद अजीब सा नियम है. वैसे तो अलग-अलग गांवों की अलग-अलग रीत, अलग नियम होते हैं. हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, जहानाबाद ज़िला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव प्याज़ लहसुन नहीं कहते. यही नहीं गांव में रह रहे परिवार बाज़ार से प्याज़ लहसुन खरीदते भी नहीं है. तो ये कहना ग़लत नहीं होगा कि यहां प्याज़ लहसुन पर पूरी तरह पाबंदी है.
सदियों से नहीं खाया प्याज़ लहसुन
गांव में प्याज़ लहसुन न खाने से किसी को आपत्ति नहीं है और गांव में रहने वाला हर एक सदस्य इस नियम का पालन करता है. गांव के बड़े-बुज़ुर्गों का कहना है कि सदियों से इस गांव के बाशिंदों ने प्याज़ लहसुन नहीं खाया. यहीं नहीं इस गांव के लोग शराब को भी हाथ नहीं लगाते.
प्याज़ लहसुन न खाने की वजह क्या है?
सवाल उठना लाज़मी है कि आख़िर प्याज़ लहसुन न खाने की क्या वजह है? India Today की एक रिपोर्ट के अनुसार, रामप्रवेश यादव ने इस अनोखे नियम की वजह बताई. यादव के शब्दों में, ‘लोगों ने यहां सदियों पहले प्याज़ लहसुन खाना छोड़ दिया क्योंकि यहां भगवान विष्णुन का मंदिर है. आज भी पुरखों द्वारा बनाया गया ये नियम लोग खुशी से मानते हैं.’
आज के समय में भी चल रही है प्रथा
गांववालों का ये भी कहना था कि जिन ग्रामीणों ने प्याज़ खाया, उनके साथ कुछ न कुछ बुरा ज़रूर हुआ है. ऐसी घटनाओं की संख्या जब बढ़ने लगी तब इस गांव ने पूरी तरह से प्याज़ लहसुन को त्याग दिया. आज जब कोई भी नियम मानना कठिन है, ये गांव अपनी परंपरा पर अडिग है. अगर कोई व्यक्ति गांव के बाहर भी जाता है तो बिना प्याज़ लहसुन का ही खाना खाता है.