Pakistani Ulema TTP Kabul Meetings: पाकिस्तान में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने एक बार फिर से पाकिस्तानी सेना को चेतावनी दी है। टीटीपी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना संविधान के आधार पर शासन चला रही है, हम शरिया कानून लागू कराएंगे। टीटीपी ने हिंसा को बंद करने की मांग को भी खारिज कर दिया है।
पाकिस्तान के नामचीन देवबंदी उलेमाओं के 13 सदस्यीय दल ने टीटीपी के चीफ मुफ्ती नूर वली और अन्य तालिबानी नेताओं से मुलाकात की। इन उलेमाओं ने टीटीपी से मांग की कि वे कबायली इलाके फाटा को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से अलग करने की मांग को छोड़ दें। टीटीपी ने पाकिस्तानी उलेमाओं के अनुरोध को खारिज कर दिया। इस प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तानी सेना ने देश की मांगों के बारे में बताया था। पाकिस्तानी सरकार चाहती है कि टीटीपी नेतृत्व सेना के खिलाफ हिंसा को छोड़ दे, अपने संगठन को खत्म कर दे और अपने इलाके में वापस लौट आएं।
‘सेना की अनुपस्थिति में उलेमा के आश्वासन पर कोई भरोसा नहीं’
पाकिस्तानी उलेमा ने अपनी मुलाकात में टीटीपी नेताओं से इस्लाम और कुरान की दुहाई दी और कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ हिंसा करना धार्मिक रूप से सही नहीं है। इसके जवाब में टीटीपी ने कहा कि उसने पाकिस्तानी वार्ताकारों से कई मांगें रखी हैं। टीटीपी सूत्रों ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा कि उन्हें सेना की अनुपस्थिति में उलेमा के आश्वासन पर कोई भरोसा नहीं है। उनका मानना है कि सेना ही पाकिस्तान की असली शासक है।
सूत्रों ने कहा कि टीटीपी नेतृत्व ने हिंसा रोकने के लिए 8 सूत्री मांगें रखी हैं और उलेमाओं के अनुरोध को खारिज कर दिया है। पाकिस्तानी उलेमाओं का यह दल बुधवार तक अभी काबुल में रहेगा और टीटीपी को मनाने की आखिरी कोशिश करेगा। हालांकि इसकी उम्मीद बहुत कम है। टीटीपी ने कहा कि पाकिस्तान का गठन एक संधि के आधार पर हुआ था। इस संधि का क्रिन्यान्वयन नहीं हो रहा है और इसमें सबसे बड़ी बाधा सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व है जो उपनिवेशवाद की एक विरासत है।
पाकिस्तान के कबायली इलाके फाटा पर राज करना चाहता है टीटीपी
दरअसल, टीटीपी पाकिस्तान के कबायली इलाके फाटा पर राज करना चाहती है। उसका इरादा है कि किसी तरह से पाकिस्तानी सेना को फाटा से हटाया जाए और फिर से लॉन्च पैड बनाकर पूरे पाकिस्तान में हमले बोले जाएं। टीटीपी का कहना है कि पाकिस्तान में चल रही शहबाज शरीफ की सरकार शरिया कानून के मुताबिक नहीं है। वे फाटा में तालिबान की तरह से एक शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।