रूस से भागने का ‘गेट’ बना तुर्की, पुतिन के ऐलान के बाद देश छोड़कर भागने वालों की लगी कतार

Russia Turkey Relations : तुर्की के अधिकारियों ने आधारिक रूप से नहीं बताया है कि कितने रूसी अबतक आए हैं। लेकिन जर्मनी के बाद रूस सबसे अधिक पर्यटक तुर्की भेजने वाले देशों की सूची में शामिल होने के करीब है। इस साल करीब 30 लाख रूसी, तुर्की आ चुके हैं।

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रूस से भागने वालों की लगी कतार

इस्तांबुल : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सैन्य भर्ती ने हजारों रूसियों के जीवन में बहुत कुछ बदल दिया है। पुतिन ने पिछले महीने जब से और सैनिकों की तैनाती की घोषणा की, हजारों की संख्या में रूसी देश से बाहर पलायन कर रहे हैं। पिछले सप्ताह रूस के सेंट पीटर्सबर्ग छोड़ने वाले निकी प्रोशिन (28) ने बताया कि 21 सितंबर को पुतिन द्वारा यूक्रेन युद्ध के लिए सैनिकों की नयी तैनाती की घोषणा के बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने देश को छोड़ दूसरे देश में शरण के लिए पलायन किया है। रूसी सैनिकों की और तैनाती की फैसला तब किया गया जब यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में कुछ रूसी सैनिक टुकड़ियों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘पिछले सप्ताह हजारों लोगों के लिए सब कुछ बदल गया, जिन्होंने रूस को छोड़ने का फैसला किया। इस फैसले की मुख्य वजह रूसी सेना में भर्ती होने को लेकर खतरा है।’ रूस के साथ तुर्की का हवाई संपर्क बना है जबकि अन्य देशों ने रूस से विमान सेवा रोक दी है। हालांकि, उन्होंने रूसियों को वीजा देने पर पाबंदी नहीं लगाई है, इसलिए रूसी किसी अन्य देश शरण लेने जाने से पहले तुर्की आ रहे हैं।

पुतिन के ‘इंसानी मेंढक’ जो गहरे पानी में कर सकते हैं दुश्मन को तबाह, स्पेशल गन से लैस, उड़ाई ‘यूरोप की लाइफलाइन’?
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    आशंका जताई जा रही है कि रूस ने पाइपलाइन पर हमले के लिए गोताखोरों या ड्रोन सबमरीन का इस्तेमाल किया होगा जिससे नॉर्ड स्ट्रीम 1 में दो और नॉर्ड स्ट्रीम 2 में एक छेद हो गया। रूस के ये कमांडो बेहद अच्छी तरह हथियारबंद, उच्च प्रशिक्षित और बेहद खतरनाक होते हैं। इन्हें ‘फ्रॉगमैन’ कहा जाता है जो काले रंग का स्विम सूट पहनते हैं। इनके पास अंडरवाटर गन होती हैं जिनसे ये गहरे पानी में स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। यूनिट में शामिल कमांडो जासूसी और हमले, दोनों तरह के मिशन के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इन स्पेशल फोर्सेस के पास छोटी पनडुब्बियां, मानवयुक्त टॉरपीडो, स्पेशल हथियार, स्पीड बोट और यहां तक कि प्रशिक्षित डॉल्फिन भी होती हैं। (फोटो साभार : ट्विटर)<br /><br />
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    इन्हें आमतौर पर एक युद्धपोत, छोटी नाव या सबमरीन से तैनात किया जाता है जहां से पानी के नीचे खुफिया अभियानों को अंजाम देते हैं। यूरोप का दावा है कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के साथ छेड़छाड़ हुई है। यूक्रेन और पोलैंड ने इसका संदेह रूप पर जताया है। माना जाता है कि पुतिन के फ्रॉगमैन कमांडो GUGI नौसैनिक इकाई के लिए काम करते हैं, जो गहरे पानी में रिसर्च करती है। इसे एक जासूसी विभाग भी माना जाता है जो पानी के नीचे ऑपरेशन में माहिर है, जिसमें गहरे पानी में पाइपलाइन पर हमला जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। (फोटो साभार : ट्विटर)<br /><br />
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    रूस के फ्रॉगमैन के पास APS अंडरवाटर राइफल होती है। यह एक खास तरह की गन होती है जिसे विशेष रूस से पानी के भीतर फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 4.75 इंच लंबे स्टील बोल्ट को फायर करती है जो कठोर वेटसूट के आरपार जा सकता है और एक सामान्य गोली से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। ये बोल्ट पानी के नीचे के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा इनके पास SSP-1 पिस्टल भी होती है जो इसी तरह के स्टील बोल्ट फायर करती है। (फोटो साभार : ट्विटर)<br /><br />
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    जमीन पर ये दोनों हथियार उतने उपयोगी नहीं हैं लेकिन पानी के नीचे ये अपने सामने आने वाले किसी भी दुश्मन के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। फ्रॉगमैन को इसकी भी ट्रेनिंग दी जाती है कि अगर मौके पर बंदूक काम न करे तो वे पानी के नीचे लड़ाई में ब्लेड का भी इस्तेमाल कर सकें। ये फ्रॉगमैन विशालकाय पनडुब्बी से भी तैनात किए जा सकते हैं। मानवयुक्त टॉरपीडो की सवारी करते हुए भी इन्हें इनके गंतव्य तक छोड़ा जा सकता है। पानी के नीचे रूसी शस्त्रागार में डॉल्फिन जैसे कुछ समुद्री जीव भी शामिल हैं जो जरूरत पड़ने पर हमला भी कर सकते हैं। (फोटो साभार : ट्विटर)<br /><br />

इस साल 30 लाख रूसी पहुंचे तुर्की
तुर्की के अधिकारियों ने आधारिक रूप से नहीं बताया है कि कितने रूसी अबतक आए हैं। लेकिन जर्मनी के बाद रूस सबसे अधिक पर्यटक तुर्की भेजने वाले देशों की सूची में शामिल होने के करीब है। इस साल करीब 30 लाख रूसी, तुर्की आ चुके हैं। तुर्की की मीडिया ने भी खबर दी है कि रूसियों द्वारा देश में संपत्ति खरीदने और मकानों को किराए पर लेने की संख्या बढ़ी है। तुर्की नाटो का सदस्य देश है, लेकिन ऊर्जा जरूरतों और पर्यटन के मामले में रूस पर निर्भर है। इसलिए उसने अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुआ।

तुर्की बना रूस यूक्रेन के बीच ‘मध्यस्थ’
तुर्की ने रूस और यूक्रेन के बीच संबंधों को संतुलित करने की कोशिश की और खुद को दोनों देशों के बीच मध्यस्थ बताया। मूल रूप से साइबेरियाई शहर ओमस्क निवासी और यूट्यूबर प्रोशिन ने कहा कि यूक्रेन में रूस को झटके लगने के बाद से युद्ध के प्रति समर्थन कम हो रहा है और यहां तक ‘राष्ट्रवादी’ रूसी भी पीछे हठ रहे हैं। रूस से इस्तांबुल आ रहे लोगों की मदद करने वाले समूह की समन्वयक इवा रैपोरेट ने कहा कि स्थिति वर्ष 1917 की रूसी क्रांति के बाद जैसी है, जब हजारों की संख्या में रूसी इस्तांबुल आए थे। उन्होंने बताया कि जो लोग आ रहे हैं उनका मानना है कि रूस में उनका भविष्य नहीं है।