जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सेब की फसल अपने पीक पर है। इस बीच तुर्की और ईरान से सेब के आयात से किसानों के अनुसार देश भर के प्रमुख बाजारों में स्थानीय सेब की कीमतों में गिरावट आई है। कश्मीरी सेब की कीमत में इस गिरावट ने उत्पादकों और व्यापारियों को मुश्किलें बढ़ा दी है।
तुर्की, ईरान के सेब ने बिगाड़ा खेल
देश में कश्मीर सेब को तुर्की और ईरान के सेब से चुनौती मिल रही है। इसका असर स्थानीय सेबों की कीमत पर पड़ रहा है। कीमतों में कमी से उत्पादकों और व्यापारियों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
सेब के उत्पादन में कमी
कश्मीर में सेब के उत्पादन में करीब 30 फीसदी की कमी आई है। इससे इलाके के सबसे बड़े उद्योग को तगड़ा झटका लगा है।
पिछले साल 18 लाख मीट्रिक टन उत्पादन
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल यहां 18 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था जो कि उससे पहले साल हुए उत्पादन से करीब एक लाख मीट्रिक टन कम था।
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इस साल सामान्य से कम बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर में इस साल सामान्य से 70-80 फीसद कम बारिश हुई है।
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दूसरी फसलों की ओर रुख
कर्ज से लदे किसान अब दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। कश्मीर में सेब उद्योग पर आए इस खतरे के कारण सेब उत्पादक किसान अब दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।
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कर्ज से लदे किसान
बारामुला जिले के रहने वाले 57 वर्षीय गुलाम हसन बट का कहना है कि वे लोग पहले करोड़ों रुपये का सेब का व्यवसाय करते थे लेकिन पिछले चार साल से लगातार हो रहे नुकसान के कारण वो भी कर्ज से लद गए हैं।
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तीन लाख रुपये का घाटा
मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के 55 वर्षीय किसान मेराज अहमद के अनुसार इस साल सूखे और कीटों की वजह से उन्होंने अपने डेढ़ हेक्टेयर के बाग से प्रति पेड़ 40 से अधिक सेब की फसल खो दी है। उन्होंने कहा कि इस साल उन्हें 3 लाख रुपये का घाटा हुआ है।