भारतीय व्यापारियों की ओर से भेजे गए गेहूं की खेप को तुर्की प्रशासन ने लेने से मना कर दिया है. तुर्की के अफसरों ने भारतीय गेहूं में फाइटोसैनिटरी की शिकायत करते हुए वापस कर दिया है.
को तुर्की प्रशासन ने लेने से मना कर दिया है. तुर्की के अफसरों ने भारतीय गेहूं में फाइटोसैनिटरी की शिकायत करते हुए वापस कर दिया है. इसके साथ ही 29 मई गेहूं की खेप लेकर तुर्की पहुंचे शिप को वापस लौटना पड़ा. गेहूं की इस खेप में 15 मिलियन टन गेहूं बताया जा रहा है. गेहूं की इतनी बड़ी खेप वापस आने से भारत के ट्रेडर्स की मुश्किलें बढ़ गई है. गौरतलब है कि मार्च 2022 में निर्यातकों ने तकरीबन 7 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया था.
गेहूं की खेत में रूबेला नाम की बीमारी मिली
S&P की ओर से कहा गया है कि गेहूं की खेत में रूबेला नाम की बीमारी थी, जिसके चलते तुर्की के कृषि मंत्रालय ने इसे लेने से इनकार कर दिया. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय पौधों में रूबेला बीमारी गंभीर समस्या है. इसी वजह से विदेश भेजे जाने वाले कंसाइनमेंट में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
प्रतिबंध से पहले किया गया था निर्यात
हालांकि, भारतीय कृषि मंत्री की ओर से इस को लेकर अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है. गौरतलब है कि ये शिपमेंट देश में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले भेजा गया था. गेहूं की ये खेप एक प्राइवेट कंपनी की ओर से भेजा गया था. दरअसल, अप्रैल में महंगाई दर में आई उछाल के बाद भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. गेहूं का सीजन होने के बाद वजूद पिछले महीने गेहूं की कीमत में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई थी. इसके बाद ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, तब सरकार ने प्रतिबंध से पहले भेजे जा चुके कंसाइनमेंट को इससे अलग रखा था.