तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए भीषण भूकंप में अब तक 4300 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 15000 से ज्यादा लोग घायल हैं. ये आंकड़ा अभी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. वहीं 6200 इमारतें जमींदोज हो गई. हालात बद से बदतर हैं. इस तबाही में कई परिवार ऐसे हैं जिनके आंसू पोछने वाले भी कोई जिंदा नहीं बचा हैं, जो बच गए हैं वो अपनों को खोकर जीने की उम्मीद छोड़ चुके हैं. लोगों की लाशें इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं.
भूकंप के बाद कई ऐसी दर्दनाक कहानियां सामने आई हैं, जो बेहद मार्मिक और दिल दहला देने वाली हैं. इनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार और दोस्त को मरते देखा है. जबकि कुछ लाशों को निकालते-निकालते खुद टूट चुके हैं.
‘पहले माता-पिता, फिर पत्नी-बच्चों को खो दिया, अब किसके लिए जिऊं?’
तुर्की के अजमारिन के रहने वाले फरहाद ने अमेरिकी न्यूज चैनल CNN से बातचीत के दौरान बताया कि जो उन्होंने भूकंप के समय देखा और सुना वो खौफनाक मंजर जीवन भर उनके सामने घूमता रहेगा. वे बताते हैं कि तक़रीबन सुबह चार बजे कांच टूटने की आवाज आई तो उन्हें लगा किसी ने पत्थर फेंका है, लेकिन जब देखने के लिए उठा तो पैरों तले जमीन खिसक गई. मुझे समझ आ गया भूकंप आया है.
फरहाद बताते हैं कि परिवार के बाकी लोगों को जगाया, बाहर निकालने लगा, बुजुर्ग माता-पिता भी साथ थे. हम लोग ठीक से बाहर निकल गए, लेकिन माता-पिता को निकलने में देर हो गई. तब तक घर का एक हिस्सा उनके ऊपर आकर गिर गया. किसी तरह जब उन्हें बाहर निकाला तो वो मर चुके थे.
उनकी दर्दनाक कहानी यहीं नहीं रूकती. जब वो अपने माता-पिता के शव को बाहर निकाल रहे थे तभी पत्नी और बेटे बाहर रोड के किनारे खड़े थे. उसी दौरान दूसरा झटका आया और चंद सेकेंड में पास की एक इमारत भरभरा कर गिर गई. देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने सब कुछ खत्म हो गया. पहले माता-पिता साथ छोड़ गए, फिर पत्नी और बेटे की भी मौत हो गई. अब किसके लिए जिऊं समझ नहीं आता है.
‘मेरे सामने दोस्त मर गया और मैं कुछ नहीं कर सका’
इरदिम नामक शख्स ने बीबीसी से बातचीत के दौरान बताया कि रात को ही मैंने अपने दोस्त को डिनर पर बुलाया था, जो बगल के मकान में ही रहता था. इमारतों के गिरने के बाद मिट्टी से सने शर्ट पहने हुए इरदिम कहते हैं कि दोस्त शियाद लोगों को हौसला दे रहा था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा. वो लोगों को बचाने में लगा था. तभी मकान का आखिरी हिस्सा उसके ऊपर आकर गिर गया और मैं कुछ नहीं कर सका. उसकी आंखें हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गईं.
‘लोगों की लाशों निकालते-निकालते टूट चुका हूं…’
सीरिया के एक अफसर ने तुर्की मीडिया से बात करते हुए कहा मलबे से लाशों को निकालते-निकालते पूरी तरह से टूट चुका हूं. हम थक चुके हैं. यह तो डिजास्टर से भी भयानक है. समझ नहीं आ रहा हम क्या करें. हर मिनट किसी न किसी मलबे से एक लाश बाहर निकाल रहे हैं.
इस तरह की डिजास्टर से निपटने की हमारी क्षमता नहीं है. सिर्फ दुनिया की मदद से ही हम मौत के इस दलदल से निकल सकते हैं. हम उनके आगे मदद और रहम की भीख मांगते हैं. हम भी इंसान हैं.
‘आओ एक ही जगह मरते हैं सब’
तुर्की के शहर अदाना में रहने वाले असलान ने बीबीसी से बातचीत के दौरान बताया कि ‘जब अपार्टमेंट हिलने लगे तो मुझे लगा कि अब मेरा परिवार नहीं बचेगा. हम भूकंप में मर जाएंगे.’ उन्होंने बताया कि उन्हें याद है कि दूसरे कमरे में उनके रिश्तेदारों के पुकारने की आवाज आ रही थी. मैंने कहा यह तो भूकंप है. आओ कम से कम हम एक साथ एक ही जगह मरते हैं. मेरे दिल में उस वक्त यही बात आई.’
असलान कहते हैं, ‘मैंने अपने जीवन में ऐसा कुछ नहीं देखा था. हम लगभग एक मिनट तक इधर से उधर झूलते रहे.”