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New Research: एक शोध में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। अभी तक जिन जीवों को मूक माना जाता था उनकी आवाज और बातचीत को रिकॉर्ड किया गया है। इस शोध को नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में मंगलवार को प्रशाकित किया गया जिसमें बताया गया है कि कछुए और मछलियों जैसे कुछ जीव आपस में बोलकर बातचीत करते हैं।
इस शोध के मुताबिक, पहले माना जाता था कि 50 से अधिक जीवों की प्रजातियां नहीं बोलती हैं, लेकिन वास्तव में वह संवाद करती थीं। इस शोध में बताया गया है कि 407 मिलियन साल (40.07 करोड़ साल) पहले इनके पूर्वज संचार करने में सक्षम थे। इन जीवों में इनके पूर्वज से संवाद करने की क्षमता का विकास हुआ है। इस शोध के प्रमुख लेखक, जीवविज्ञानी गेब्रियल जोर्गेविच-कोहेन ने बताया कि पहली बार उन्हें अमेजन रेनफॉरेस्ट में कछुओं पर शोध करते समय मूक प्रजातियों की आवाज को रिकॉर्ड करने का विचार आया।
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कोहेन जब अपने घर वापस आए, तो उन्होंने अपने पालतू जानवरों की आवाज की रिकॉर्डिंग करने का निर्णय लिया। इसमें होमर नाम का एक पालतू कछुआ भी शामिल था जो उनके पास बचपन से है। उन्होंने पाया कि होमर और उनके पालतू कछुए आवाज निकाल रहे थे। इसलिए उन्होंने कछुओं की अन्य प्रजातियों की आवाज की रिकॉर्ड करनी शुरू कर दी। आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए उन्होंने कभी-कभी हाइड्रोफोन, पानी के भीतर रिकॉर्डिंग के लिए माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया।
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इन अजीब जानवरों में एक प्रकार की लंगफिश शामिल है जिसमें गलफड़े के साथ-साथ फेफड़े भी होते हैं। इसकी वजह से यह पीना के बिना जमीन पर भी जीवित रह सकती है। इसके अलावा सीसिलियन की एक प्रजाति को भी शामिल किया गया है जो एक सांप की तरह दिखता है।
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इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों ने एक दुर्लभ सरीसृप की आवाज को भी रिकॉर्ड किया जो सिर्फ न्यूजीलैंड में पाया जाता है। इसे टुआटेरा कहा जाता है जो राइनोसेफेलिया का एकमात्र जीवित सदस्य है। पहले यह पूरी दुनिया में पाए जाते थे। जानवर किट-किट, चिर या शोर करने वाली आवाजें निकालते हैं। भले ही वह धीरे से या दिन में कुछ ही बार आवाज निकालते हों।