नई दिल्ली. सुपरटेक ट्विन टॉवरों को गिरा दोपहर में ढ़ाई बजे बारूद से उड़ा दिया गया है. इस दौरान बड़ी मात्रा में मिट्टी और धूल का गुबार पैदा हो गया है. ऐसे में आशंका है कि प्रदूषण तत्व बहती हवा के साथ आसपास के वातावरण को दूषित करेंगे. देश में पहली बार कुतुबमीनार की ऊंचाई वाली दो इमारतों को विस्फोट से ध्वस्त किया गया है ऐसे में पार्टिकुलेट मेटर के साथ ही बारूद की वजह से हवा की गुणवत्ता खराब होने की पूरी संभावना है. हालांकि यह प्रदूषण कितने किलोमीटर की रेंज में ज्यादा प्रभावित करेगा और हवा के चलते प्रदूषण तत्व किस दिशा में बढ़ेंगे, इसे लेकर भारतीय मौसम विभाग ने बड़ी जानकारी दी है.
न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में दिल्ली स्थित भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक वी के सोनी ने बताया कि नोएडा में हो रहे इस ट्विन टॉवर डेमोलिशन के दौरान प्रदूषण को लेकर जो सबसे अहम भूमिका निभाएगी वह हवा की गति और उसकी दिशा होगी. उसी से डस्ट पार्टिकल यानि धूल और मिट्टी के कण कितनी दूरी तक जाएंगे, यह तय होगा. अभी की बात करें तो अभी नोएडा में हवा की गति 18 किलोमीटर प्रति घंटे की है. इस रफ्तार से चल रही हवा को शांत तो किसी भी कीमत पर नहीं कहा जा सकता है. लिहाजा हवा का असर तो पड़ेगा.
इन शहरों में बढ़ सकता है प्रदूषण
वीके सोनी कहते हैं कि हवा की गति के अलावा जो प्रमुख चीज है वह है हवा की दिशा. इस समय उत्तर-पश्चिम की ओर से हवाएं चल रही हैं. जिसका प्रभाव निचली सतह पर चल रही हवा पर पड़ेगा. ऐसे में ट्विन टॉवर के पूर्वी दिशा में ये हवाएं तेजी से आगे बढ़ेंगी. वहीं अभी अगले दो से तीन घंटों तक हवा की गति भी यही रहने की उम्मीद है. इस लिहाज से देखें तो जैसे ही ट्विन टॉवर मलबे में बदलेगी, धूल कण हवा के माध्यम से दिल्ली के बजाय दादरी की तरफ बढ़ेंगे. हवा की दिशा से अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्विन टॉवरों का दिल्ली के प्रदूषण स्तर पर कम असर होगा. जबकि नोएडा से दादरी के बीच में आने वाली जगहों पर इसका प्रभाव पड़ेगा. इन जगहों पर प्रदूषण स्तर बढ़ सकता है.
वीके सोनी कहते हैं कि जहां तक किलोमीटर का सवाल है तो जब भी 18 से 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं तो उसका असर 50-100 किलोमीटर की रेंज में रहता है. ऐसे में यह रेंज नोएडा से दादरी तक जा सकती है. यहां अगले 12 से 24 घंटे तक प्रदूषण स्तर बढ़ सकता है.
कल राहत मिलने की उम्मीद
वीके सोनी कहते हैं कि मौसम विभाग के अनुसार कल दिल्ली-एनसीआर में बारिश का अनुमान है. ऐसे में अगर ट्विन टॉवर के ढहाए जाने वाली जगह पर भी बारिश होती है तो इसका सीधा-सीधा फायदा प्रदूषण नियंत्रण में मिलेगा. बारिश के चलते डस्ट पार्टिकल एक जगह पर स्थिर हो जाएंगे. हवा चलने के दौरान भी डस्ट नहीं उड़ेगी, ऐसे में न केवल वहां की आसपास की सोसायटीज के लिए बल्कि दूर-दूराज के लिए भी बारिश से फायदा हो सकता है.