उदयपुर: गौस मोहम्मद का कराची कनेक्शन, पाकिस्तान ने दिया जवाब

मोहम्मद गौस और मोहम्मद रियाज़

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राजस्थान में अधिकारियों ने कहा है कि उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार एक अभियुक्त गौस मोहम्मद ने आठ साल पहले पाकिस्तान का दौरा किया था और वो वहाँ फ़ोन करते रहते थे. पाकिस्तान सरकार ने एक बयान जारी कर इन दावों को ख़ारिज कर किया है.

राजस्थान के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बुधवार को कहा कि गौस मोहम्मद 2014 में पाकिस्तान के कराची गए थे और पिछले दो-तीन सालों से पाकिस्तान फ़ोन करते रहे हैं.

राजस्थान के डीजीपी एम एल लाठर ने कहा है कि गौस कराची स्थित दावत-ए-इस्लामी के दफ़्तर गए थे. दावत-ए-इस्लामी एक सुन्नी इस्लामिक संगठन है. इसका गठन पाकिस्तान में 1981 में मोहम्मद इलियास अत्तार क़ादरी ने किया था. यह लोगों को इस्लाम स्वीकार कराने का काम करता है.

राजेंद्र सिंह यादव ने अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, ”गौस 2014 में कराची गया था और वहाँ 45 दिन रहा था. इसके बाद 2018-19 में अरब के देशों में गया था. इसके अलावा वह नेपाल भी गया था. पिछले दो-तीन सालों से पाकिस्तान में 8 से 10 नंबरों पर फ़ोन करता था.”

राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि जो अपराध किया गया है, वह कोई आम आदमी का नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में एनआईए ने एफ़आईआर दर्ज की है और इसके नेटवर्क का पता लगाया जाएगा.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि इस हत्या को अंजाम आतंक और डर फैलाने के लिए दिया गया है. गहलोत ने कहा कि इनका संबंध अंतरराष्ट्रीय संगठनों से है. राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की मशीनरी इस मामले में एनआईए को हर तरह की मदद देगी.

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कन्हैयालाल कपड़े का नाप लेते हुए

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मंगलवार को कन्हैया लाल नाम के एक दर्ज़ी की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. मोहम्मद रियाज़ और गौस मोहम्मद ने हत्या का वीडियो बनाया था और कहा था कि पैग़ंबर के अपमान करने वालों को यही सज़ा मिलेगी.

इन दोनों ने हत्या की बात को स्वीकार किया है. कन्हैया लाल पर आरोप था कि उन्होंने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में फ़ेसबुक पर पोस्ट डाली थी.

नूपुर शर्मा ने मई महीने के आख़िर में एक टीवी डिबेट में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. बाद में बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था. मोहम्मद रियाज़ और गौस मोहम्मद को लेकर कई चीज़ें सामने आ रही हैं.

पाकिस्तान ने क्या कहा

गौस मोहम्मद के पाकिस्तान कनेक्शन की रिपोर्ट पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से प्रतिक्रिया आई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ख़ारिज कर दिया है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ”हमने भारतीय मीडिया में रिपोर्ट देखी है, जिसमें उदयपुर की घटना को पाकिस्तान से जोड़ा जा रहा है. हम इस आरोप का ख़ारिज करते हैं. भारत में बीजेपी-आरएसएस की सरकार हमेशा से अपने आंतरिक मुद्दों के लिए भी पाकिस्तान पर उंगली उठाती रही है. इस तरह के बदनाम करने वाले अभियान काम नहीं आएंगे.”

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कन्हैया लाल तेली

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लाठर ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि गौस और रियाज़ ने पूछताछ के दौरान बताया है कि वे दावत-ए-इस्लामी से जुड़े रहे हैं. लाठर ने कहा कि गौस अन्य कई संगठनों के संपर्क में लगातार रहे हैं.

डीजीपी ने कहा, ”गौस मोहम्मद 2014 में दावत-ए-इस्लामी संगठन के दफ़्तर कराची गया था. काग़ज़ पर इस संगठन का मक़सद धार्मिक प्रचार-प्रसार है. राजस्थान में इसका कोई दफ़्तर नहीं है. भारत में कानपुर में इसका ऑफिस है और दिल्ली मुंबई में मुख्य कार्यालय हैं.” बुधवार को एनआईए ने भी इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की है.

राजस्थान के डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश और इस पूरे मामले की प्रकृति को देखते हुए शुरू से ही इसकी जाँच आतंकवादी साज़िश के तौर पर हैंडल किया जा रहा है. इस मामले में रियाज़ और गौस के अलावा दो अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

पुलिस का कहना है कि इसमें दो अन्य लोग भी शामिल थे. लाठर ने कहा है कि मोहम्मद रियाज़ वेल्डर का काम करता है और दूसरा मस्जिद में खिदमत का काम करता है. दोनों की अभी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं मिली है.

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कन्हैया लाल के दो बेटे यश (21) और तरुण (18) हैं. यश बीकॉम सेकंड इयर में पढ़ाई कर रहे हैं जबकि तरुण बी फार्मा फर्स्ट इयर में हैं. इनकी माँ यशोदा पूछ रही हैं कि अब वो क्या करेंगी. यशोदा ने मीडिया से कहा, ”मेरे पति को लगातार धमकियाँ मिल रही थीं. लोग दुकान में आकर धमकी देते थे. पिछले सात-आठ दिनों से वह नियमित तौर पर दुकान नहीं जा रहे थे. वह एक-दो बार जाकर दुकान में स्टाफ़ को देख आते थे. अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती तो मेरे पति ज़िंदा रहते.”

यश ने कहा, ”हमें तो याद भी नहीं है कि पोस्ट किसने शेयर किया था. किसी ने ग़लती से पोस्ट शेयर कर दिया था. इसके बावजूद उन्हें धमकियां मिल रही थीं. पुलिस ने कोई भी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई. मेरे पिता ही घर का खर्च चलाते थे. हम दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं. मुझे शक है कि इस हत्या में और भी लोग शामिल हैं क्योंकि यह सुनियोजित हत्या है.”

10 जून को धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने के मामले में एक एफ़आईआर के आधार पर कन्हैया लाल को गिरफ़्तार किया गया था. बाद में उन्हें ज़मानत पर छोड़ दिया गया था. उन्होंने एक लिखित शिकायत की थी और अपनी जान का ख़तरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी.