जातिगत आधार पर शिक्षण संस्थानों में कितने मामले आए हैं, यूजीसी ने एचपीयू से इसकी रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में एचपीयू प्रशासन ने भी सभी कालेजों को 30 मई तक इसका डाटा भेजने के निर्देश जारी किए हैं। दो वर्षों का यह डाटा यूजीसी की ओर से मांगा गया है। एचपीयू रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने एससी, एसटी और सामाजिक के आधार पर किसी भी स्टूडेंट के साथ शिक्षक द्वारा किए गए दुव्र्यवहार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का फैसला लिया है। अभी तक हायर एजुकेशनल इंस्टीच्यूट में सीनियर स्टूडेंट्स द्वारा नए स्टूडेंट्स से रैगिंग को लेकर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। अब बीते कुछ समय में मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य कालेजों में टीचर्स द्वारा छात्रों की ऐसी शिकायतों के बाद आयोग ने सख्त कार्रवाई का फैसला किया है।
वहीं, आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव की लगातार निगरानी कर रहा है। अधिकारी या शिक्षक को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन-जाति के स्टूडेंट्स के खिलाफ उनके सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
स्टूडेंट्स की तरफ से जातिगत भेदभाव की शिकायतें दर्ज कराने के लिए अपने वेबसाइट पर एक पेज भी बनाया गया है। वहीं यूजीसी का कहना है कि इसके अलावा कुल-सचिव या प्राचार्य के कार्यालय में शिकायत रजिस्टर भी रखें। अगर ऐसी कोई शिकायत आती है, तो तुरंत जांच के साथ आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करें। ऐसी शिकायतों का समाधान के लिए इंस्टीच्यूट को अलग से समिति भी गठित करनी होगी।