Ukraine Blacklist Indians: रूस का समर्थन करने पर भड़का यूक्रेन, जेलेंस्की ने सैम पित्रोदा समेत 3 भारतीयों को किया ब्लैकलिस्ट

Russia Ukraine war: रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले 155 दिनों से लगातार जारी है। इस बीच यूक्रेन ने तीन भारतीयों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इनके ब्लैकलिस्ट करने का कारण रूसी प्रोपेगेंडा को बढ़ाना बताया गया है। यूक्रेन के सेंटर फॉर काउंटरिंग डिसइन्फॉर्मेशन ने इस महीने लिस्ट जारी की है।

 
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कीव:रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले 155 दिनों से जारी है। इस बीच यूक्रेन सरकार ने रूस के ‘प्रोपेगेंडा’ को फैलाने का आरोप लगाते हुए तीन भारतीय लोगों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। तीन भारतीय के अलावा अन्य देशों के वे लोग भी ब्लैकलिस्ट हुए हैं जो रूस का समर्थन कर रहे हैं। ये

लिस्ट इस महीने की शुरुआत में सेंटर फॉर काउंटरिंग डिसइन्फॉर्मेशन (CCD) की ओर से पब्लिश की गई है। CCD की स्थापना पिछले साल राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक विभाग के रूप में की थी।

फरवरी में रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ ही CCD लगातार दुनिया में युद्ध के कवरेज का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित करता है। इस लिस्ट में लगभग 75 नाम शामिल हैं, जिसमें भारत के पूर्व राजनयिक पीएस राघवन का नाम भी शामिल हैं। राघवन 2014 से 2016 तक रुस में भारत के राजदूत के रूप में भी रह चुके हैं। उन्हें लिस्ट में शामिल करने की वजह उनका एक बयान बताया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘रूस के खिलाफ यूक्रेन रूस के खिलाफ नाटो की तरह है।’

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सैम पित्रोदा का नाम भी शामिल
इसके अलावा लिस्ट में सैम पित्रोदा का नाम शामिल है जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के सलाहकार रह चुके हैं। सैम पित्रोदा के लिस्ट में शामिल होने का कारण उनका एक बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दुनिया को रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ समझौता करना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब उनसे ब्लैकलिस्ट होने के बारे में पूछा गया तो वह हैरान रह गए, उन्होंने कहा कि इसकी कोई जानकारी नहीं है।

भारतीय पत्रकार को भी किया गया ब्लैकलिस्ट
इनके अलावा पत्रकार सईद नकवी तीसरे भारतीय हैं जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया है। लिस्ट में शामिल करने का कारण बताया गया है कि इन्होंने कहा था कि यूक्रेन की सेना की जीत एक भ्रम और प्रोपोगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं है, जिसका जन्म पश्चिमी देशों में हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तानी पॉलिटिकल इकोनॉमिस्ट शकील अहमद रमय भी इस लिस्ट में शामिल हैं। लिस्ट में शामिल होने का कारण उनका वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिमी देशों में रूस के मीडिया की सेंसरशिप की जा रही है।