ऊणा शब्द से बना ऊना, बाबा कलाधारी ने किया था नामकरण, आज के ही दिन बना 12वां जिला

पंजाबी राज्य से पुनर्गठन के बाद पहाड़ी राज्य में शामिल होने के बावजूद भी ऊना के लोगों की सांस्कृतिक एवं सभ्यता और आम बोलचाल की भाषा पंजाबी मिश्रित ही चली आ रही है।

ऊना शहर

हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ.वाईएस परमार के हाथों आज से ठीक 50 साल पहले प्रदेश के 12वें जिले के रूप में ऊना का गठन हुआ। पंजाब के होशियारपुर जिला की तहसील के तौर पर शामिल ऊना को पहाड़ी राज्य हिमाचल के कांगड़ा जिला में पंजाब राज्य के पुनर्गठन के वक्त 1966 में शामिल कर लिया गया।

पंजाबी राज्य से पुनर्गठन के बाद पहाड़ी राज्य में शामिल होने के बावजूद भी ऊना के लोगों की सांस्कृतिक एवं सभ्यता और आम बोलचाल की भाषा पंजाबी मिश्रित ही चली आ रही है। ऊना में शामिल पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की ऊना को हिमाचल में विलय की मांग को देखते हुए वर्ष 1966 में पंजाब राज्य के पुनर्गठन के वक्त ऊना को कांगड़ा जिले का उपमंडल बनाया गया। वर्ष 1966 में कांगड़ा जिले का हिस्सा बनने के छह साल बाद प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार ने ऊना में पहुंच कर प्रदेश के 12वें जिले के रूप में ऊना को नई पहचान दी।

ऊना जिला के नामकरण को लेकर भी अलग-अलग धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। ऊना के नामकरण के संदर्भ में कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी के वंशज रहे बाबा कलाधारी जी जोकि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के समकालीन माने जाते थे। उन्होंने यहां के लोगों को पहली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र वाणी का रसपान करवाया था। बाबा कलाधारी से जब कोई भी भक्त कुशल क्षेम पूछता तो बाबा कलाधारी जी अपनी तर्जनी अंगुली से आकाश की ओर इशारा कर कहते कि “सब ऊणा दी किरपा है ” ( सब उन की अर्थात परमेश्वर की कृपा है)। मत्स्य पुराण के मुताबिक ऊना शब्द की व्युत्पत्ति पहाड़ी राज्य के रूप में की गई है जोकि ऊन के व्यापार के लिए मशहूर हुआ करता था।