शेयर बाजार में 80 लाख गंवाने के बाद आई ‘समझ’, खड़ा कर दिया बिजनेस, सब्सक्राइबर 2 करोड़ पार!

2008 की मंदी में अजय लखोटिया को शेयर बाजार में 80 लाख रुपये का लॉस हुआ.

2008 की मंदी में अजय लखोटिया को शेयर बाजार में 80 लाख रुपये का लॉस हुआ.

नई दिल्ली. एक दशक पहले जब शेयर बाजार को भारी वित्तीय संकट ने घेरा था, तब अजय लखोटिया नाम का एक शख्स भी इसकी चपेट में आया था. 2008 अजय के लिए एक अच्छा साल नहीं था. 2008 से पहले वे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाने के लिए एक रेस में दौड़ रहा थे. इस समय एशिया के पहले सोशल इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म StockGro के सीईओ और फाउंडर अजय लखोटिया ने बाजार में उस गिरावट के दौरान 80 लाख रुपये गंवा दिए थे.

लाइवमिंट ने अजय लखोटिया की कहानी शेयर की है, जिसमें उन्होंने अपने इस सफर के दौरान आए अप्स एंड डाउन्स के बारे में खुलकर बताया है. उन्होंने निवेशकों के लिए वो फॉर्मूला भी बताया, जिससे कि वे किसी भी संकट में उनकी तरह बर्बाद होने से बच सकें.

जब तेजी का बबल फूटा तो..
लखोटिया ने कहा- “2008 में शेयर बाजार क्रैश में मुझे ₹80 लाख से अधिक का नुकसान हुआ, जो मेरे लिए आंखें खोल देने वाला अनुभव था. 2008 से पहले, बाजार तेजी से बढ़ रहा था. एफडी की ब्याज दरें जहां 7-8% थीं, बाजार बहुत अधिक रिटर्न (प्रति माह 2% रिटर्न, सालाना लगभग 24%) दे रहे थे. यही कारण है कि सभी ने भारी निवेश करना शुरू कर दिया.”

उन्होंने कहा कि दोस्त एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे कि देखते हैं किसने सबसे ज्यादा रिटर्न हासिल किया. उस समय, निवेश पूरी तरह से टिप्स के आधार पर किया गया था.

उन्होंने कहा- “लेकिन जब बाजार क्रैश हुआ, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे बाजार की कोई जानकारी नहीं है. मैं यह नहीं जानता था कि बाजार कैसे काम करता है. विश्लेषक कंपनी के प्रदर्शन का मूल्यांकन किस तरह से करते हैं और स्टॉक की टिप्स कैसे देते हैं.”

क्या था कंपनी बनाने का आधार?
लखोटिया ने 80 लाख रुपये का नुकसान तो झेला, लेकिन बाजार से भागे नहीं. उन्होंने फैसला किया कि वे जानेंगे कि बाजार कैसे काम करता है और इसी से वे अपने नुकसान की भरपाई करें.

इसी दौरान उन्होंने महसूस किया कि कसे भारत में हर कोई शेयर बाजार के बारे में बात करना पसंद करता है और सही अवसरों को खोजने और निवेश करने के लिए उत्सुक रहता है. लेकिन उनके पास सही एंट्री और एग्जिट जैसी तकनीकी को समझने की समझ की कमी है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अच्छे साक्षरता स्तर के बावजूद केवल 4 फीसदी लोग ही वित्तीय बाजारों में निवेश करते हैं.

मार्केट क्रैश में पैसा खोने और बाजार से ही उसे वापस पाने का तरीका जानना ही इस यात्रा का अहम हिस्सा बन गया. इसी के आधार पर स्टॉक ग्रो (StockGro) का निर्माण किया गया.

लखोटिया का निवेश करने का मंत्र

    • निवेश को हमेशा डायवर्सिफाई करें और पोर्टफोलियो को हेज़ (hedge) करें.

    • कौन-सा सेक्टर अच्छा परफॉर्म करेगा और क्यों, इसे जानने के लिए टॉप-डाउन अप्रोच अपनाएं.

    • देखें कि कौन-सा सेक्टर सबसे अधिक विश्वसनीय है और किसी कंपनी का डिविडेंड रिकॉर्ड क्या रहा है.

    • चेक करें कि कंपनी के प्रमोटर कौन है और उनका बैकग्राउंड क्या है?

    • सभी ट्रेड्स में 5 फीसदी का टार्गेट लगाएं और 2 फीसदी का स्टॉपलॉस रखें.

पर्सनल फाइनेंस मैनेज करने का तरीका
अधिकतर लोगों का मनी मैनेजमेंट ऑटोपायलट पर होता है. वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा (10 या 20 फीसदी) फिक्स्ड डिपॉजिट में डालते हैं और बाकी का खर्च कर देते हैं. लखोटिया कहते हैं कि सामान्य तरीका ये है कि 20 साल काम करने के बाद आपका निवेश आपको वार्षिक आधार पर इतना रिटर्न दे कि आप अपने लाइफस्टाइल को कैरी कर पाएं.

बाजार से जुड़े अन्य विशेषज्ञों की तरह ही अजय लखोटिया भी इस बात में भरोसा करते हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में निवेश की शुरुआत काफी पहले कर लेनी चाहिए. क्योंकि कम उम्र में आपके रिस्क लेने की क्षमता अधिक होती है और आपकी लाइस्टाइल कॉस्ट कम. जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं तो आप पर परिवार की जिम्मेदारियां आती हैं और रिस्क लेने की क्षमता कम हो जाती है.

मनी मैनेज करने का फंडा
50% – खर्च
20% – FD सेविंग्स
30%- स्टॉक, म्यूचुअल फंड्स

लखोटिया मानते हैं कि व्यक्ति को ऐसे प्रोडक्ट्स में निवेश करना चाहिए, जो उसे लगे कि भविष्य में लंबे समय के लिए उनकी मांग बनी रहेगी. आपको बाजार में उछाल या गिरावट के चक्र पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

बता दें कि स्टॉकग्रो, बैंगलोर स्थित स्टार्टअप है, जिसे जनवरी 2020 में स्थापित किया गया था. मिलेनियल्स और जेन-जेड पर फोकस के साथ कंपनी मासिक आधार पर 2x बढ़ने का दावा करती है. 23 से 38 वर्ष की आयु वाले लोगों के वर्ग को मिलेनियल्स और जेन-जेड कहा जाता है. कंपनी जून में लॉन्च होने के बाद 2 वर्षों के भीतर 20 मिलियन ऐप डाउनलोड को पार कर गई है.