UNICEF की नौकरी छोड़ शुरू किया जूते साफ करने का काम, आज इन्हीं मैले जूतों से कमा रही लाखों

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पैसा कमाना मुश्किल नहीं है, मुश्किल है तो बस ये सोचना कि पैसा कमाया कैसे जाए. जो दुनिया से हट कर ये बात सोच लेता है वो अपने साथ-साथ दूसरों का भी भला करने योग्य हो जाता है. अब सोचिए कि अगर किसी को कहा जाए मैले जूतों से पैसा कमा के दिखाने के लिए, तो अधिकांश लोग या तो भड़क जाएंगे या फिर साफ मना कर देंगे. लेकिन, बिहार की महिला ने इन्हीं मैले जूतों के दम पर अपनी पहचान बना ली.

मैले जूतों से मिली पहचान

ये कहानी है बिहार के भागलपुर की शाजिया कैसर की, जिन्होंने अपने बिजनस के लिए ऐसा आइडिया सोचा जिसे सोच पाना हर किसी के बस की बात नहीं. करीब साढ़े सात साल पहले शाजिया ने मोचियों से जुड़े एक कारोबार की शुरुआत की और इसे नाम दिया Shoe Laundry.

परिवार था उनके फ़ैसले के ख़िलाफ़

जिस तरह लॉन्ड्री में कपड़े धुलने जाते हैं ठीक वैसे ही शाजिया की शू लॉन्ड्री में जूतों की मरम्‍मत, साफ-सफाई और पॉलिश का काम होता है. शाजिया ने अपने इस बिजनेस और सफर के बारे में मीडिया को बताया कि “जब उन्होंने अपनी इस सोच को अपने पढ़े-लिखे परिवार के सामने रखा तो हर कोई उनके खिलाफ हो गया. जाहिर सी बात है, अधिकतर पढ़े लिखे लोग इस काम को छोटा ही मानेंगे. शाजिया के परिवार ने भी यही सोचा कि वह मोची का काम कैसे कर सकती हैं. लेकिन शाजिया अपने फैसले पर अड़ी रहीं. परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया. इसके बाद उन्होंने पटना में रिवाइवल नाम से शू-लॉन्ड्री स्टोर खोला. उन्हें उनकी मेहनत फल मिलना शुरू हो गया और देखते ही देखते उनका कारोबार फैलने लगा.

नहीं मानी हार और खोली शू लॉन्ड्री

Shazia Kaisar Shoe Laundry Twitter

फिजियोथेरेपी में ग्रेजुएशन और हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट में मास्टर्स कर चुकी 39 वर्षीय शाजिया कैसर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्ग्नाइजेशन और यूनिसेफ में काम कर चुकी हैं. उन्होंने एक मैगजीन में शू लॉन्ड्री पर एक आर्टिकल पढ़ा और उन्हें ये आइडिया काफी पसंद आया. उन्होंने बिहार में शू लॉन्ड्री खोलने का प्लान किया. शाजिया ने इस संबंध में मीडिया को बताया था कि जॉब के दौरान वह अपने बिजनेस का रिसर्च वर्क करती रहीं. इस दौरान उन्होंने भूटान, पुणे, मुंबई, चेन्नई जा कर शू लॉन्ड्री की ट्रेनिंग ली. उन्हें कहीं भी ऐसी सर्विस नहीं मिली और इससे उन्हें ये बिजनेस युनीक लगने लगा.

इसके बाद उन्होंने साल 2014 में पटना में पहला स्टोर खोला. इस फैसले में उनके पति उनके साथ थे. वह जूतों की मरम्मत, सफाई और उन्हें फिर से ठीक करने का काम करती हैं. जूतों के साथ यहां लेदर के सामान को भी ठीक और साफ किया जाता है.

रिवाइवल सर्विस के नाम से फेमस उनके इस स्टोर में उन्हें पहले नुकसान झेलना पड़ा. उन्होंने इसमें अपनी 1 लाख रुपए की सेविंग लगा दी थी लेकिन 2 साल में उन्हेंसिर्फ नुकसान हुआ. हालांकि शाजिया ने हार नहीं मानी और वह इस बिजनेस को आगे बढ़ाने में लगी रही. उन्हें कर्मचारी ढूंढने में भी दिक्कत हुई. 50 लोगों में से मात्र 3 लोगों ने ही उनके साथ काम करने की हामी भरी. इनकार करने वालों को ये जॉब उनके स्टेटस के मुताबिक नहीं लगी.

अब उनका बिजनेस फल फूल रहा है. वह अपनी वर्कशॉप पर महिलाओं को ट्रेनिंग देती हैं और उन्हें कमाई का ये अनोखा हुनर सिखाती हैं. साल 2016 में उन्हें बिहार में बेस्ट स्टार्टअप के लिए भी चुना गया था.