हिमाचल प्रदेश में 12 स्वयंसेवी संस्थाओं को पिछले तीन महीने में विदेशों से करोड़ों रुपये की मदद मिली है। छह संस्थाओं को विदेशों से एक भी पैसा नहीं आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास राज्य की स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपना त्रैमासिक ब्योरा जमा किया है। विदेशों से मदद पाने वाली इन संस्थाओं में ज्यादातर तिब्बती संस्थाएं हैं। इनमें ज्यादातर कांगड़ा जिले से संबंधित हैं। यह मदद अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, नीदरलैंड, नॉर्वे, कनाडा, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया और यूके से आई है।
इन्हें मिली मदद
डोंग्यू गात्सल लिंग ट्रस्ट को 36.87 लाख, ग्लोबल हैंड्स फॉर रूरल डेवलपमेंट को 12.12 लाख, सोशल एंड रिसोर्स डेवलपमेंट फंड को 5.69 करोड़, नयिंग्मपा बुद्धिस्ट चैरिटेबल इंस्टीट्यूट को 1.02 करोड़, द कलगीधार ट्रस्ट को 2.49 करोड़, लाइब्रेरी ऑफ तिब्बतियन वर्क्स एंड आर्काव्स को 36.74 लाख, खमगार द्रुक धमच्रक कॉलेज ऑफ बुद्धिस्ट कल्चरल एंड वेलफेयर चैरिटेबल ट्रस्ट को 13.88 लाख, तिब्बतियन मेडिकल इंस्टीट्यूट को 98.93 लाख, जोंगसार ख्येनत्से छोक्यी लोद्रो इंस्टीट्यूट को 32 लाख, तिब्बतियन डैलेक अस्पताल को 23.80 लाख, तिब्बतियनन सेंटर फॉर ह्यूमैन राइट्स एंड डेमोक्रेसी को 25.86 लाख।
दलाईलामा ट्रस्ट समेत इन संस्थाओं ने बताया, हमें कुछ नहीं मिला
सोशल अवेयरनेस थ्रू ह्यूमैन इन्वॉल्वमेंट, एचपी महिला कल्याण मंडल, नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड्य एचपी स्टेट ब्रांच, हिल हॉलीनेस द दलाईलामाज चैरिटेबल ट्रस्ट, द बीड़ तिब्बतेन सोसायटी और तुषिता रिट्रीट पब्लिक चैरिटेबल सोसायटी के लिए किसी भी तरह की मदद न मिलने की बात कही गई है।